20 Nov 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
हाल ही में पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. कहा है कि मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं की बुवाई के लिए खाली खेतों को तैयार करें और उन्नत बीज और खाद की व्यवस्था करें.
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एडवाइजरी के मुताबिक, जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी, 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें.
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तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई में और अधिक देरी न करें, नहीं तो फसल की उपज में कमी होगी और कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है.
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किसान इस समय लहसुन की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान जरूर रखें. खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक जरूर डालें.
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यह मौसम गाजर, ब्रोकली, फूलगोभी, गांठ गोभी और बंदगोभी की नर्सरी तैयार करने के लिए उपयुक्त है. नमी का ध्यान रखें. बुवाई से पहले बीजों उपचारित जरूर करें.
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इतना ही नहीं इस मौसम में किसान कई तरह के साग की किस्म लगा सकते हैं- जैसे सरसों, पालक, शलगम, बथुआ, मेथी की किस्मों की बुवाई मेड़ों पर करें. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान जरूर रखें.
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एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि मिर्च और टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ का 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.
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इस मौसम में गेंदे की तैयार पौध की मेड़ों पर रोपाई करें. किसान ग्लेडिओलस की बुवाई भी इस समय कर सकते हैं. खेत में देसी खाद, पोटाश और फॉस्फोरस उर्वरक जरूर डालें.
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किसानों को सलाह है कि पराली ना जलाएं क्योंकि फसलों की पैदावार और क्वालिटी प्रभावित होती है. पराली को जमीन में मिला दें. इससे मिट्टी की उर्वकता बढ़ती है.
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