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अपनी अंत्येष्टि किस विधि से कराना चाहेंगे... जब मंत्री ने सुनाया ब्लैक कैट कमांडो ट्रेनिंग का किस्सा

असीम अरुण ने आईपीएस की नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी, जिसके बाद उन्होंने कन्नौज से चुनाव लड़ा और फिर योगी सरकार में मंत्री बने. जब रविवार को मंत्रीजी काशी विश्वनाथ के दर्शन करने काशी पहुंचे तो उन्हें यहां ब्लैक केट कमांडो की ट्रेनिंग के समय के साथी मिले, जिसके बाद उन्होंने पुराना किस्सा सुनाया.

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ब्लैक केट कमांडो की ट्रेनिंग के दौरान के साथी के साथ मंत्री असीम अरुण
ब्लैक केट कमांडो की ट्रेनिंग के दौरान के साथी के साथ मंत्री असीम अरुण

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और पूर्व आईपीएस असीम अरुण (Asim Arun) ने अपनी एनएसजी ब्लैक कैट कमांडो की ट्रेनिंग का किस्सा सुनाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए बताया साल 2003-04 में वह दिल्ली में ट्रेनिंग लेने पहुंचे थे. कोर्स बहुत कठिन और डराने वाला था, इसके अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि एडमिशन फॉर्म में पहला कॉलम नाम था, जबकि दूसरा कॉलम था कि अगर ट्रेनिंग में आपकी मृत्यु हो गई तो अंत्येष्टि किस विधि से चाहेंगे.  

दरअसल मंत्री असीम अरुण एक दिसंबर को वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे. यहां उन्हें ब्लैक कैट कमांडो की ट्रेनिंग के दौरान के एक साथी रमेश कुमार यादव मिले, जिसके बाद मंत्री जी ने उन दिनों को याद करते हुए पुरानी यादें ताजा कीं. 

उन्होंने बताया कि यूपी पुलिस से हम 33 लोग ब्लैक कैट कमांडो कोर्स की ट्रेनिंग लेने पहुंचे थे. इनमें सभी पीएसी के कॉन्स्टेबल थे और मैं था. एनएसजी ने मुझे ट्रेनिंग में इस शर्त पर शामिल होने दिया था कि तुम स्वयं इस कोर्स में आ रहे हो, अभी तक कोई आईपीएस नहीं शामिल हुआ है, हमसे किसी रियायत की आशा मत करना. हालांकि मैं किसी रियायत के लिए तो नहीं गया था. 

जब साथी मेरे लिए रियायत करने लगे- मंत्री  

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असीम अरुण ने बताया कि कठोर ट्रेनिंग और कूद-फांद के बीच 5-7 मिनट का रेस्ट होता था. इसी दौरान लाइन में लगकर चाय बिस्कुट लेना होता था. तीन-चार दिन सामान्य रूप से यह क्रम चलता रहा. फिर मेरे कुछ पीएसी के सहपाठी आए और बोले कि सर आप लाइन में न लगा करें, हमें बुरा लगता है. मैंने कहा इसमें तो कोई बुरा मानने वाली बात नहीं है. सहपाठी माने नहीं और मेरे लिए यह रियायत करने लगे. 

मैं ऐसे सहपाठियों का ऋणी हूं... असीम अरुण 

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, "मैं ऋणी हूं ऐसे अपने सहपाठियों का जिनके मिट्टी से सने हाथों में चाय का पेपर कप आज भी मुझे साफ दिखाई दे रहा है. अब लंबी बात करने का समय नहीं है, उस्ताद की सीटी भी बज चुकी है, भागता हूं. रामानंद इस कोर्स मे तो नहीं थे, लेकिन लंबे समय तक मेरे साथ रहे हैं.  

असीम अरुण ने IPS की नौकरी छोड़कर लड़ा था चुनाव 

असीम अरुण ने आईपीएस की नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. उन्होंने कानपुर पुलिस कमिश्नर के पद से वीआरएस लिया था और फिर 2022 में कन्नौज से बीजेपी की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा. उन्होंने सपा उम्मीदवार अनिल कुमार को करीब छह हजार वोटों से हराया था. जिसके बाद योगी कैबिनेट में उन्हें शामिल किया गया. कन्नौज के रहने वाले असीम अरुण फिलहाल उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री हैं. असीम अरुण के पिता राम अरुण दो बार उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके हैं.

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