उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार को एक बार फिर जुबानी जंग छिड़ गई जब समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बीच 'DNA' को लेकर तीखी नोकझोंक हुई. भाजपा नेता पाठक ने समाजवादी पार्टी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि 'सपा मुस्लिम तुष्टिकरण के डीएनए के साथ पैदा हुई है.' वहीं, सपा ने पलटवार करते हुए उन्हें चापलूसी करने और बेवजह की बयानबाजी करने वाला बताया.
बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी को सलाह दी कि वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की भाषा की समीक्षा करे और उसे मर्यादित व सभ्य बनाए.
कहां और किस बात से शुरू हुई थी लड़ाई
विवाद की शुरुआत उस पोस्ट से हुई जो समाजवादी पार्टी के आधिकारिक 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से ब्रजेश पाठक को लेकर की गई थी. इसके जवाब में पाठक ने लंबा पोस्ट किया और कहा कि सपा की राजनीति जातिवाद और तुष्टिकरण पर आधारित रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने बतौर मुख्यमंत्री 14 आतंकियों के केस वापस लिए थे, जिससे समाज में अविश्वास और विभाजन बढ़ा.
सपा पर दलित विरोधी होने का आरोप
पाठक ने सपा पर दलित विरोधी होने का भी आरोप लगाया और कहा कि सपा के शासनकाल में दलितों के अधिकारों को कुचला गया और उन्हें हाशिये पर डाल दिया गया.
जवाब में अखिलेश यादव ने कहा कि 'जो लोग अपने मंत्रालय में असफल हैं, जिन्हें अपनी पार्टी में ही तवज्जो नहीं मिलती, वे समय व्यर्थ करने वाली बातों में उलझे रहते हैं.' उन्होंने लोगों से सकारात्मक राजनीति और 'पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक)' सरकार के निर्माण का संकल्प लेने की अपील की.
अखिलेश ने इशारों में कहा कि ब्रजेश पाठक भाजपा में बाहरी हैं और वे जबरन खुद को साबित करने में लगे हैं. उन्होंने पाठक से कहा कि भाजपा में ऐसे कई नेता पहले भी दरकिनार किए जा चुके हैं. अंत में अखिलेश यादव ने कहा कि यह इस विषय पर उनका अंतिम बात है और अब वे जनकल्याण की ओर ध्यान देंगे.