यूपी के संभल में पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जिसकी करतूत जानकार हर कोई हैरान रह गया. इस मामले में पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन्होंने बीमा की भारी रकम हड़पने के उद्देश्य से दो युवकों की हत्या की थी. इतना ही नहीं ये आरोपी एक और शख्स हत्या की योजना बना रहे थे, लेकिन उससे पहले पकड़े गए. आइए जानते हैं पूरा मामला...
आपको बता दें कि संभल जिले की अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी) अनुकृति शर्मा के नेतृत्व में रजपुरा थाना, एसओजी और सर्विलांस टीम ने 7 आरोपियों- वेदप्रकाश, कमल सिंह, निर्देश कुमार, उदयभान, प्रेमशंकर, सुनील कुमार और ओमप्रकाश को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि ये लोग पहले तो पीड़ितों का बीमा करवाते फिर उनका कत्ल कर क्लेम की रकम हड़प लेते. आरोपी कत्ल को रोड एक्सीडेंट का नाम देकर बीमा कंपनी को झांसा देते थे. अबतक इन्होंने करोड़ों रुपये का हेरफेर किया है.
दरअसल, गैंग द्वारा क्लेम की धनराशि को हड़पने के लिए पहले अपने करीबियों की अलग-अलग कंपनियों में बीमा पॉलिसी कराई जाती. प्रीमियम भी खुद ही भरा जाता. कुछ दिन बाद पॉलिसी वाले लोगों की हत्या कर घटना को रोड एक्सीडेंट दिखाकर मुकदमा दर्ज करवाया जाता. आखिर में क्लेम अप्लाई करके रकम को हड़प लिया जाता था.
इस गैंग से जुड़े हुए 7 लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया है जो कि तीन करोड़ रुपये की इंश्योरेंस पॉलिसी का क्लेम हड़पने के लिए अभी तक दो हत्याएं कर चुके हैं. अब इस गैंग में शामिल आरोपी के द्वारा अपने जीजा के क्लेम की धनराशि हड़पने के लिए एक और मर्डर की तैयारी थी.
मामले में खुलासा करते हुए IPS अनुकृति शर्मा ने बताया कि संभल पुलिस यूपी समेत देश के 12 राज्यों में फैले हुए इंश्योरेंस पॉलिसी गैंग के बड़े नेक्सेस को ध्वस्त करने में जुटी हुई है. इस कड़ी में बीमार व मृत लोगों का बीमा कराकर क्लेम हड़पने वाले गिरोह में शामिल बड़ी इंश्योरेंस कंपनियों के इन्वेस्टिगेटर से लेकर, एक बैंक के डिप्टी मैनेजर, आशा वर्कर और टेलीकॉम कंपनियों से जुड़े लोग और इंश्योरेंस कंपनियों के पॉलिसी एडवाइजर की गिरफ्तारियां हुई हैं.
ऐसे खुला राज
पुलिस के मुताबिक, मुख्य आरोपी वेदप्रकाश ने 16 नवंबर 2023 को थाना रहरा, जनपद अमरोहा में एफआईआर दर्ज कराई थी कि उसके भांजे अमन (निवासी दिल्ली) की मौत एक अज्ञात वाहन की टक्कर से हुई है. तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन सबूत के अभाव में अदालत में अंतिम रिपोर्ट भेज दी गई.
15 फरवरी 2025 को आरोपी शाहरुख की गिरफ्तारी के बाद उसके मोबाइल डेटा से अमन की हत्या का राज सामने आया. मोबाइल में अमन के नाम कई बीमा पॉलिसियों की जानकारी, एफआईआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, आधार-पैन कार्ड की फोटो और बीमा क्लेम से जुड़ी वाट्सऐप चैट्स बरामद हुईं, जिससे पुलिस का शक और गहरा गया.
पुलिस के अनुसार, अमन के नाम पर कुल सात बीमा पॉलिसियां कराई गई थीं, जिनका कुल कवरेज लगभग 2.7 करोड़ रुपये था. इनमें नॉमिनी के तौर पर उसकी सौतेली मां रूपाली को जोड़ा गया था. क्योंकि, उसके परिवार में कोई और नहीं था. अमन की हत्या के बाद एक पॉलिसी की 20 लाख की राशि पहले ही आरोपियों द्वारा प्राप्त की जा चुकी है. बाकी कंपनियों से भी क्लेम की प्रक्रिया चालू थी.
इस बीच अमन की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके सिर पर चार गंभीर गहरी चोटें थीं, लेकिन शरीर के अन्य भागों पर कोई खरोंच नहीं थी. ये चोटें किसी भारी हथियार से मारी गई प्रतीत होती हैं, जो सड़क दुर्घटना की सामान्य स्थिति से मेल नहीं खातीं. पूछताछ में अभियुक्तों वेदप्रकाश व कमल ने बताया कि उन्होंने अमन की हत्या बीमा की रकम हासिल करने के उद्देश्य से की थी. वे पहले भी इसी तरह सलीम नामक युवक की हत्या कर 75 लाख रुपये का बीमा क्लेम ले चुके थे.
निर्मम तरीके से की थी अमन की हत्या
आरोपियों ने अमन को विश्वास में लेकर उसके नाम पर बीमा कराया. फिर 15 नवंबर 2023 को उसे एक पारिवारिक कार्यक्रम के बहाने गांव बुलवाया. दारू पिलाकर बेहोश करने के बाद अमन के सिर पर हथौड़े से वार किया गया और उसकी लाश सड़क पर फेंक दी गई.
पहचान के लिए अमन का आधार कार्ड, पैन कार्ड व एक दिन पहले खरीदा गया मोबाइल फोन उसकी जेब में रख दिया गया. इतना ही नहीं उस मोबाइल फोन में आखिरी डायल नंबर भी साजिशकर्ता ने अपना ही डाला था, जिससे पुलिस शव की शिनाख्त के लिए उन्हीं लोगों को मौके पर बुलाए.
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि जब सलीम के बीमा क्लेम का 78 लाख मिला तो उन्होंने 12 गांव के लोगों को भंडारा खिलाया था. एक बड़ी रकम भंडारे को आयोजित करने में खर्च की गई थी. इतना ही नहीं गैंग के लोगों के द्वारा धनराशि का कुछ हिस्सा संभल के धार्मिक स्थल पर जाकर दान भी किया गया था.