देवोत्थान एकादशी की पूर्व संध्या पर संगम नगरी प्रयागराज में आस्था, परंपरा और आध्यात्मिक भाव का अनोखा संगम देखने को मिला. जूना अखाड़े के मौजगिरि घाट पर इस वर्ष भी परंपरागत रूप से दीपदान महायज्ञ और कालिंदी महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ. जैसे ही शाम ने दस्तक दी, यमुना तट हजारों जलते दीपकों की जगमगाहट से स्वर्णिम आभा में नहा उठा. नदी का शांत जल और उस पर दीपों का प्रतिबिंब... ऐसा लग रहा था मानो आसमान के तमाम सितारे धरती पर उतर आए हों.
इस कार्यक्रम का आयोजन श्री दत्तात्रेय सेवा समिति ने श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के प्रमुख संतों के संरक्षण में किया. यमुना आरती, मंत्रोच्चार और दीपों की कतार इस आयोजन को दिव्य बना रही थी. महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में दीप लेकर यमुना के किनारे खड़ी थीं. उनके हाथों से जलते दीपों की रोशनी यूं लग रही थी, मानो आस्था की किरणें जल पर अपनी राह तय कर रही हों.
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नागा तपस्वी महंत शिवानंद गिरि, जो मौजगिरि आश्रम के व्यवस्थापक भी हैं, उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल से कालिंदी महोत्सव और दीपदान महायज्ञ लोक कल्याण, शांति और समृद्धि की कामना से आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि देवोत्थान एकादशी वह पावन क्षण है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और धार्मिक गतिविधियों का शुभ आरंभ माना जाता है. इसलिए यह महोत्सव सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्रकृति, जल और मानवता को समर्पित एक भावनात्मक संदेश है.

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दीपदान में शामिल महिला ने कहा कि हजारों दीपों के बीच खड़े होकर ऐसा महसूस हो रहा था जैसे खुद मां यमुना बच्चों की आराधना स्वीकार कर रही हैं. वहीं एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि उन्होंने परिवार की खुशहाली और समाज की शांति के लिए दीपदान किया.

दीपों की जगमगाहट के साथ मां यमुना की भव्य आरती हुई. शंख, घंटों और वैदिक मंत्रों की ध्वनि से घाट गूंज उठा. वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चारणों के बीच आरती में भागीदारी की और दीप प्रवाहित कर पुण्य अर्जित किया. सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रयागराज पुलिस प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए गए थे.
बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी घाट और आसपास के क्षेत्रों में तैनात थे. कह सकते हैं कि कालिंदी महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह प्रकृति, संस्कृति और अध्यात्म की एक सुंदर अभिव्यक्ति थी. यमुना के तट पर जलते दीप सिर्फ रोशनी नहीं बिखेर रहे थे, बल्कि हर दिल में आशा, शांति, सौहार्द और नई ऊर्जा की लौ प्रज्वलित कर रहे थे.