यूपी का कानपुर एक बार फिर चर्चाओं में है, लेकिन इस बार वजह है दो बड़े अधिकारियों के बीच चल रही 'जंग'. जिसने अब सियासी रंग ले लिया है. कानपुर के जिलाधिकारी (DM) और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के बीच टकराव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों में ही मतभेद उभर आए हैं. एक ओर जहां तीन भाजपा विधायक CMO के समर्थन में खड़े हैं, वहीं बिठूर से भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने सीएमओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उनके ट्रांसफर की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है.
डीएम बनाम सीएमओ की शुरुआत ऐसे हुई
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब कानपुर के जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए. डीएम ने स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त अव्यवस्था, सीएचसी और पीएचसी के निरीक्षण में मिली खामियों तथा डॉक्टरों के तबादलों में कथित मनमानी को आधार बनाकर सीएमओ के खिलाफ शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी. डीएम के अनुसार, जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है और इसमें सीएमओ की निष्क्रियता और गैर-पेशेवर रवैये की भूमिका है. इसी बीच CMO से जुड़ी तीन कथित ऑडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिनमें सीएमओ डीएम के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करते सुनाई दे रहे थे. इन क्लिप्स के आधार पर मामला और भी संवेदनशील हो गया.
बैठक से बाहर निकाले गए CMO
बीते शनिवार को नवीन सभागार में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में जिलाधिकारी ने जब डॉ. हरिदत्त नेमी से ऑडियो क्लिप्स के बारे में जवाब मांगा, तो उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और दावा किया कि यह आवाज उनकी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि यह ऑडियो संभवतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके. डीएम ने सीएमओ से कहा कि यदि वे निर्दोष हैं, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज कराई जाए. लेकिन जब संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो डीएम ने उन्हें बैठक से बाहर जाने को कह दिया.
विधायकों में दो फाड़: समर्थन और विरोध
इस विवाद में राजनीतिक एंट्री तब हुई जब सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष और कानपुर के वरिष्ठ नेता सतीश महाना ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर सीएमओ के पक्ष में खड़े होते हुए लिखा कि डॉ. नेमी का जनता के प्रति व्यवहार बेहद सहज और कार्यशैली सराहनीय है. उन्होंने आग्रह किया कि जनता की भावना को देखते हुए उन्हें कानपुर में ही बनाए रखा जाए. सिर्फ महाना ही नहीं, एमएलसी अरुण पाठक और गोविंदनगर से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने भी सीएमओ के पक्ष में डिप्टी सीएम को पत्र भेजा. इन नेताओं ने लिखा कि डॉ. नेमी सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू कर रहे हैं और जनप्रतिनिधियों से उनका व्यवहार सदैव सम्मानजनक रहा है.
अभिजीत सांगा का विपरीत सुर:
हालांकि, इसी भाजपा में एक अलग स्वर सुनाई दिया. बिठूर से विधायक अभिजीत सिंह सांगा का. उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजे पत्र में साफ-साफ कहा कि डॉ. हरिदत्त नेमी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन्होंने डीएम के खिलाफ ऑडियो वायरल कर माहौल को बिगाड़ा है और उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए. सांगा ने यह भी आरोप लगाया कि सीएमओ डॉक्टरों और स्टाफ के साथ अभद्रता करते हैं, आदेशों की अवहेलना करते हैं और तबादलों में मनमानी करते हैं.
सीएमओ की सफाई और रणनीति
दूसरी ओर, सीएमओ ने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया है कि यह पूरा मामला एक साजिश है, और उनका उद्देश्य केवल विभागीय कार्यों को बेहतर बनाना है. उन्होंने यह भी कहा कि ऑडियो क्लिप्स में उनकी आवाज नहीं है और AI तकनीक का प्रयोग कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.
क्या है वायरल ऑडियो में?
तीन ऑडियो क्लिप्स वायरल हुईं, जिनमें एक व्यक्ति जो दावा किया जा रहा है कि सीएमओ हैं डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक बातें करता है. एक क्लिप में वह कहता है, 75 जिलों में ऐसा कोई डीएम नहीं देखा जो इस तरह बात करता हो. दूसरी क्लिप में पैसों की व्यवस्था को लेकर बातचीत हो रही है, जिसमें कहा गया है कि हर महीने की आमदनी निकालनी है, कोई तरीका बताओ. हालांकि, इन ऑडियो क्लिप्स की सत्यता की अब तक पुष्टि नहीं हुई है और न ही कोई तकनीकी जांच रिपोर्ट सामने आई है. सीएमओ का कहना है कि ये क्लिप्स फर्जी हैं, लेकिन डीएम का रुख स्पष्ट है. अगर ऑडियो फर्जी है तो दोषियों पर एफआईआर हो, और अगर असली है तो कार्यवाही सीएमओ पर हो.