देश की राजधानी दिल्ली में 10 नवंबर की शाम हुए भयानक धमाके के बाद पूरे देश में सनसनी फैली हुई है. यह विस्फोट लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 पर कार में हुआ था, जिसमें अमोनियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था. इस धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई और 25 से ज़्यादा लोग घायल हुए. जांच एजेंसियों ने लगातार छापेमारी कर अब तक कई संदिग्धों को पकड़ा है, जिनमें से ज़्यादातर उत्तर प्रदेश से जुड़े हैं.
सहारनपुर से डॉक्टर आदिल की गिरफ्तारी
दिल्ली ब्लास्ट केस में पहली बड़ी कार्रवाई उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई. यहां से डॉक्टर आदिल अहमद को गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि डॉ आदिल ने पहले कश्मीर में विवादित पोस्टर लगाए थे और उसी मामले में कश्मीर पुलिस पहले से उसकी निगरानी कर रही थी. यूपी पुलिस की मदद से हुई इस कार्रवाई में पता चला कि आदिल सहारनपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में ऊंचे पद पर काम कर रहा था.
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गुजरात में एटीएस ने दबोचे दो यूपी के आतंकी
दूसरी बड़ी गिरफ्तारी गुजरात के बनासकांठा जिले में हुई. यहां गुजरात एटीएस ने तीन आतंकियों को पकड़ा, जिनमें से दो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं- आज़ाद सुलेमान शेख और मोहम्मद सुहैल. जांच में सामने आया कि दोनों लखनऊ के रहने वाले हैं और डॉक्टर अहमद मोहियुद्दीन सैयद के लिए काम करते थे. इन दोनों पर आरएसएस दफ्तर की रेकी करने का आरोप है.
लखनऊ की डॉ शाहीन से मिली अहम कड़ी
तीसरी गिरफ्तारी लखनऊ की रहने वाली डॉ शाहीन की हुई, जो जैश-ए-मोहम्मद संगठन से जुड़ी बताई जा रही है. इसी की कार से विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी. डॉ शाहीन पिछले कुछ समय से फरीदाबाद में रह रही थी. पूछताछ के दौरान इसके कई अहम खुलासे हुए, जिससे जांच की दिशा पूरी तरह यूपी की ओर मुड़ गई.
डॉ शाहीन के भाई डॉ परवेज़ भी आए रडार पर
डॉ शाहीन की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियों ने लखनऊ में छापेमारी की. इसी दौरान उसके भाई डॉ परवेज़ का नाम सामने आया. डॉ परवेज़ लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था. उसने 7 नवंबर को अचानक इस्तीफ़ा दे दिया था. उसके घर से लैपटॉप और कई मोबाइल बरामद किए गए हैं.
कानपुर और हापुड़ से भी गिरफ्तारियां
कानपुर से डॉ मोहम्मद आरिफ मीर को पकड़ा गया, जो एमडी कार्डियोलॉजी का छात्र था. बताया जा रहा है कि वह ब्लास्ट के मुख्य आरोपी उमर का क्लासमेट रह चुका है और डॉ शाहीन से उसके संपर्क थे. वहीं, हापुड़ से डॉ फारूक की गिरफ्तारी हुई, जो जीएस मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर था. दिल्ली पुलिस ने शक के आधार पर उसे हिरासत में लिया है, क्योंकि माना जा रहा है कि उसका भी इस साजिश में कोई न कोई रोल रहा है.
जांच जारी, कई नाम अभी रडार पर
दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां लगातार यूपी कनेक्शन को खंगाल रही हैं. अब तक हुई गिरफ्तारियों से साफ है कि इस धमाके में एक संगठित डॉक्टर नेटवर्क काम कर रहा था. एजेंसियां अब उन लोगों की तलाश में हैं जो अभी भी फरार हैं. दिल्ली विस्फोट केस का हर सिरा धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश से जुड़ता जा रहा है.