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UP में कांग्रेस को 30 से 35 सीटें दे सकती है सपा, प्रवक्ता बोले- 2022 का प्रदर्शन होगा सीट शेयरिंग का आधार

बिहार में एनडीए की जीत के बाद अब यूपी में विपक्षी गठबंधन अभी से ही एक्टिव मोड में आता नजर आ रहा है. सपा कांग्रेस को 35 से अधिक सीटें देने के मूड में नहीं नजर आ रही.

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कांग्रेस प्रवक्ता बोले- राहुल गांधी और अखिलेश यादव लेंगे फैसला (Photo: ITG)
कांग्रेस प्रवक्ता बोले- राहुल गांधी और अखिलेश यादव लेंगे फैसला (Photo: ITG)

बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की प्रचंड जीत के बाद अब यूपी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. यूपी के विपक्षी गठबंधन में चुनावी सुगबुगाहट अभी से ही शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस, दोनों ही अलर्ट मोड मे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) भी सीटों के मामले में सख्त रुख के संदेश दे रही है.

दोनों दलों के नेता सीट शेयरिंग के सवाल पर सख्त रुख के संकेत तो दे रहे हैं, लेकिन यह भी कह रहे हैं कि रास्ते को लेकर सहमति बाकी है पर हमारे लक्ष्य एक हैं. सपा के नेता यह संकेत दे रहे हैं कि सीट शेयरिंग का आधार 2022 के चुनाव में प्रदर्शन होगा. सपा नेताओं की मानें तो 2022 के प्रदर्शन के आधार पर कांग्रेस को 30 से 35 सीटें ही दी जा सकती हैं.

सपा नेताओं के बयानों के बीच कांग्रेस नेताओं का स्पष्ट कहना है की सीटों को लेकर अंतिम फैसला सिर्फ राहुल गांधी और अखिलेश यादव ही ले सकते हैं. बिहार की हार के बाद कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. वहीं, सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद का भी बयान आया है. फखरुल हसन चांद ने स्पष्ट कहा है कि सीट शेयरिंग का आधार2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टियों का प्रदर्शन ही होगा.

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस उम्मीदवारों की कई सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी, इसलिए यही तर्कसंगत है कि उसे 30 से 35 सीटें ही दी जाएं. सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि बीजेपी बड़ा दुश्मन है और उसे हराने के लिए रणनीति स्पष्ट होनी चाहिए. सपा प्रवक्ता के इस बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता की भी प्रतिक्रिया आई है.

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कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा है कि बीजेपी को हराना हमारा साझा लक्ष्य है, लेकिन सीट बंटवारे का फैसला सिर्फ दो नेताओं राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच होगा. उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग दूसरे नेताओं के बयान से तय नहीं होगा. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी बिहार नतीजों के बाद और अधिक अलर्ट हो गई है. कांग्रेस चाहती है कि उसे लड़ने के लिए वही सीटें मिलें, जहां उसके उम्मीदवार मजबूत और जिताऊ स्थिति में हों.

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कांग्रेस नेताओं का यह भी कहना है कि सीट बंटवारा पिछले चुनाव के प्रदर्शन और इस समय संगठन की मजबूती के आधार पर ही होना चाहिए. 2027 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को चुनौती देने के लिए दोनों दलों की एकजुटता जरूरी है, लेकिन शुरुआती संकेत बताते हैं कि सीटों पर सहमति बनाना आसान नहीं होगा.

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