कानपुर के बिकरू कांड में गैंगस्टर विकास दुबे का सहयोग करने के आरोप में जेल में बंद तत्कालीन थानेदार विनय तिवारी को बड़ी राहत मिली है. पांच साल बाद उसे हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. विनय तिवारी और उसके सहयोगी पुलिसकर्मियों पर गांव में छापा पड़ने से पहले ही विकास दुबे गैंग को सूचना देने का आरोप लगा था. इसको लेकर तिवारी और साथी दारोगा केके शर्मा के बीच हुई बातचीत ऑडियो भी वायरल हुआ था.
मालूम हो कि 2 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे गैंग द्वारा एक डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में विकास दुबे का सहयोग करने के आरोप में जेल में बंद तत्कालीन थानेदार विनय तिवारी को आखिरकार पांच साल बाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है.
बिकरू कांड को लेकर स्थानीय थाने चौबेपुर के थानेदार विनय तिवारी को पुलिस ने 8 जुलाई 2020 को जेल भेज दिया था, तब से वह जेल में बंद था. हाई कोर्ट में उसकी जमानत के लिए वकील शैलेंद्र कुमार तिवारी पैरवी कर रहे थे. वकील का कहना है कि दो-दो लाख रुपये के मुचलके पर विनय तिवारी की जमानत मंजूर हुई है. दो-दो लाख के बांड कोर्ट में दाखिल कर दिए गए हैं. हालांकि, विनय तिवारी के साथ जेल गए अन्य पुलिस कर्मी अभी भी जेल में बंद हैं.
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हत्याकांड में मारे गए सीओ देवेंद्र मिश्रा ने थानेदार विनय तिवारी की शिकायत उस समय के तत्कालीन एसपी रहे कानपुर के आनंद देव तिवारी को कई बार की थी, जिसके ऑडियो वायरल हुए थे. मिश्रा का आरोप था कि विनय तिवारी विकास दुबे को सपोर्ट करता है और पुलिस छापे की सूचना दुबे को पहले ही दे देता था. इसी के चलते बिकरू में पुलिसवालों का 'नरसंहार' हुआ.