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'मेरी दुनिया उजड़ गई...', बेगम-बच्चियों की हत्या से टूटा मुफ्ती, बागपत की मस्जिद को कहा 'अलविदा', गांव भी छोड़ा

Baghpat Tragedy: बागपत जिले के गांगनौली गांव की बड़ी मस्जिद में पिछले चार साल से तालीम दे रहे मुफ्ती इब्राहिम की दुनिया चंद पलों में उजड़ गई. शामली के रहने वाले की पत्नी इसराना और उनकी दो नन्हीं बेटियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. अब परिजनों की मौत से टूटे मुफ्ती गांव छोड़कर चले गए हैं.

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पत्नी-दो बेटियों की हत्या से दुखी मुफ्ती ने गांव छोड़ा.(Photo:Screengrab)
पत्नी-दो बेटियों की हत्या से दुखी मुफ्ती ने गांव छोड़ा.(Photo:Screengrab)

''मेरी दुनिया उजड़ गई... मेरे बीवी-बच्चों को मार दिया... अब मेरा यहां क्या बचा..." ये लफ्ज बागपत के गांगनौली की बड़ी मस्जिद की दीवारों से टकराकर गूंज रहे हैं. वो लफ्ज एक ऐसे मुफ्ती के हैं जिसकी जिंदगी चंद पलों में राख हो गई. बागपत के इस छोटे से गांव में जो हुआ, उसने हर इंसान को हिला दिया.

थाना दोघट इलाके के गांगनौली गांव की बड़ी मस्जिद में रहने वाले मुफ्ती इब्राहिम, जो मूल रूप से शामली जिले के सुन्ना गांव के रहने वाले हैं, पिछले चार साल से इस मस्जिद में तालीम दे रहे थे. मस्जिद के नीचे के बरामदे में बच्चों को कुरान की तालीम देते और ऊपर के कमरे में अपनी बीवी इसराना और दो नन्हीं बेटियों के साथ रहते थे. घर में सुकून था, अल्लाह का नाम था, लेकिन 11 अक्टूबर 2025 की शाम वो दिन बन गई कयामत की रात. उन्हीं से कुरान पढ़ने वाले दो नाबालिग छात्रों ने गुनाह की वो हद पार कर दी, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. 

महज इस बात से नाराज होकर कि मुफ्ती और उनकी बीवी ने उन्हें पढ़ाई में लापरवाही करने पर डांटा और पिटाई की, दोनों नाबालिग छात्रों ने खौफनाक साजिश रच डाली. मौका पाकर उन्होंने मुफ्ती की गैरमौजूदगी में घर में घुसकर उनकी पत्नी और दोनों बेटियों की बेरहमी से हत्या कर दी.

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खून से सनी दीवारें और फर्श पर बिखरे खून के बीच तीन लाशें पड़ी थीं. एक मां और उसकी दो नन्हीं बेटियों की हत्या से पूरा गांव सन्न रह गया. पुलिस ने दोनों नाबालिग आरोपियों को हिरासत में लेकर वारदात का खुलासा कर दिया, लेकिन जो चला गया, वो वापस नहीं आने वाला था. मुफ्ती इब्राहिम की आंखें सूख चुकी थीं. वो बस एक ही बात दोहरा रहे थे, "अब यहां कुछ नहीं बचा मेरे लिए... सब उजड़ गया..." अब मुफ्ती इब्राहिम ने मस्जिद और गांव छोड़ दिया है.

अपनी टूटी हुई जिंदगी के टुकड़ों को समेटते हुए वो वापस अपने मूल गांव सुन्ना (जिला शामली) लौट गए हैं. गांव के लोग बताते हैं, जाते वक्त उन्होंने बस इतना कहा, "जहां मेरी बीवी-बच्चों का खून बहा, वो अब वहां नहीं रहना." 

गांव के लोग आज भी खामोश हैं, मस्जिद का बरामदा वीरान पड़ा है, बच्चों की तालीम बंद है और मुफ्ती पलायन कर गए हैं. 
 
ग्रामीण अब्दुल कयूम ने बताया, ''मुफ्ती मस्जिद से चले गए, बोल रहे थे मेरे बीवी-बच्चे नहीं रहे तो क्या करूंगा रहकर. उन्हें रोका भी पर नहीं रुके. जो हुआ, गलत हुआ. पुलिस ने केस खोला अच्छा किया. जो बच्चे तालीम लेने आते थे, उन्हीं ने उनका परिवार उजाड़ा.''

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