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फोर्डो पर अमेरिका का 'बंकर बस्टर' हमला, क्या वाकई खत्म हुआ ईरान का सबसे सेफ परमाणु अड्डा?

ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग में अब अमेरिका की एंट्री ने हालात को और गंभीर बना दिया है. ईरान के सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकाने फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर अमेरिका ने हमला कर दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सामने यह दावा किया है कि ईरान की सभी प्रमुख परमाणु साइटें पूरी तरह से खत्म कर दी गई हैं.

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क्या वाकई ईरान का सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकाना तबाह हो गया? (Image Credit-Reuters)
क्या वाकई ईरान का सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकाना तबाह हो गया? (Image Credit-Reuters)

ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग में अब अमेरिका की एंट्री ने हालात को और गंभीर बना दिया है. ईरान के सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकाने फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर अमेरिका ने हमला कर दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सामने यह दावा किया है कि ईरान की सभी प्रमुख परमाणु साइटें पूरी तरह से खत्म कर दी गई हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वाकई फोर्डो जैसे मजबूत और गहराई में बने ठिकाने को इतनी आसानी से नष्ट किया जा सकता है?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान की प्रमुख परमाणु साइटें पूरी तरह तबाह कर दी गई हैं, लेकिन ईरानी मीडिया में जो खबरें सामने आई हैं, वो कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही हैं.

क्या वाकई खत्म हुआ ईरान का सबसे सुरक्षित परमाणु अड्डा?

ईरानी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को अमेरिकी हमले से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि हमले से पहले ही इस साइट को खाली कर दिया गया था.अधिकारियों का कहना है कि हमले की आशंका पहले ही महसूस कर ली गई थी, और इसी वजह से ईरान ने अपनी अहम परमाणु संसाधन को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया.

चलिए जानते हैं, फोर्डो प्लांट की ऐसी क्या खासियत है, जिसकी वजह से अमेरिका को जंग में कूदना पड़ा. 22 जून 2025 की सुबह अमेरिका ने ईरान की तीन बड़ी परमाणु साइटों,फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हमला किया. इस हमले में अमेरिका ने अपने सबसे खतरनाक बम GBU-57 MOP (मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर) का इस्तेमाल किया, जिसे आम भाषा में बंकर बस्टर कहा जाता है.

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फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट ईरान के कोम शहर के पास एक पहाड़ी के नीचे बना है. यह जमीन से लगभग 80 से 90 मीटर (करीब 295 फीट) गहराई में स्थित है. इसे इतनी गहराई में इसलिए बनाया गया है ताकि यह किसी भी बमबारी से सुरक्षित रह सके. 2009 में पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों ने इसका पता लगाया था.इससे पहले यह पूरी दुनिया की नजरों से छुपा हुआ था.

इससे पहले इजरायल ने भी फोर्डो को निशाना बनाया था, लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं कर पाया. IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) का मानना है कि फोर्डो की गहराई और मजबूत सुरक्षा प्रणाली इसे हमलों से बचा लेती है.

क्या है फोर्डो की ताकत?

फोर्डो की सबसे बड़ी ताकत वहां की उन्नत सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं, जो यूरेनियम को 60% तक शुद्ध कर सकती हैं. जबकि परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम की 90% शुद्धता जरूरी होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि फोर्डो इस लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच चुका था. यही वजह थी कि अमेरिका और इजरायल इस साइट को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानते थे.

बंकर बस्टर: अमेरिका का सबसे खतरनाक बम

GBU-57 बम अमेरिका का सबसे ताकतवर गैर-परमाणु हथियार है. इसका वजन करीब 13,600 किलोग्राम है. यह बम 60 मीटर मोटी कंक्रीट या 200 फीट मिट्टी को आसानी से भेद सकता है. यह बम GPS से निर्देशित होता है और इसे B-2 स्टील्थ बॉम्बर से छोड़ा जाता है, जो दुश्मन के रडार में आए बिना सटीक हमला करता है.

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हालांकि, फोर्डो की गहराई GBU-57 की सामान्य सीमा से भी ज्यादा है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही जगह पर बार-बार बम गिराने से वहां की चट्टानों को कमजोर किया जा सकता है. इसके लिए कई B-2 बॉम्बर्स की जरूरत पड़ती है.

22 जून के इस हमले में अमेरिका ने छह GBU-57 बमों का इस्तेमाल किया, ऐसा न्यूयॉर्क टाइम्स और रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया है. ट्रंप का कहना है कि फोर्डो अब खत्म हो चुका है, लेकिन अभी तक इसकी स्वतंत्र जांच सामने नहीं आई है.

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