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ATM की तरह कार्ड डालो, फिंगर प्रिंट लगाओ और... इराक में ऐसे होते हैं चुनाव! देखें वीडियो

भारत में जहां बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो गया. वहीं दुनिया के दूसरे कोने में स्थित एक देश-इराक में भी पार्लियामेंट्री इलेक्शन के लिए वोट डाले गए. सोशल मीडिया पर इराक में हुई वोटिंग के वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. देखते हैं वहां कैसे वोट डाला जाता है.

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इराक में ऐसे डाले जाते हैं वोट (Photo - X/ @anadoluagency)
इराक में ऐसे डाले जाते हैं वोट (Photo - X/ @anadoluagency)

इन दिनों भारत में जहां बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव की धूम है. वहीं पूरी दुनिया की नजर इराक में हो रहे संसदीय चुनाव पर गड़ी हुई है. 11 नवंबर को इराक के लोगों ने भी चुनाव में हिस्सा लिया और अपने मतों का प्रयोग किया.

ऐसे में सोशल मीडिया पर इराक में हुई वोटिंग के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. वीडियो देखने के बाद पता चलता है कि वहां की वोटिंग प्रणाली यहां से एकदम अलग है.

ऐसे वोट डालते दिखे वोटर
सोशल मीडिया पर इराक की वोटिंग के जो वीडियो सामने आए हैं. उनमें पोलिंग बूथ एकदम शांत दिखाई दे रहा है. वहां सबसे पहले वोटर एक पोलिंग अधिकारी को अपना एक कार्ड देते दिखाई देते हैं. पोलिंग अधिकारी वोटर से पुराना कार्ड लेकर एक नया कार्ड भी देते दिखाई देते हैं.

ऐसे मिलता है बैलेट पेपर
वहीं वोटर द्वारा दिए गए एटीएम जैसे कार्ड को पोलिंग अधिकारी स्वाइप करते हैं. फिर मतदाता को मशीन के स्क्रीन पर अपना फिंगर इम्प्रेशन देता है. तब जाकर वोटर को बैलेट पेपर दिया जाता है. बैलेट पेपर लेने के बाद वोटरों को रिसिविंग के प्रमाण के तौर पर सिग्नेचर या स्याही लगाकर थंब इम्प्रेशन देना होता है.

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इसके बाद मतदाता बूथ पर बने एक गोपनीय कंपार्टमेंट में जाकर बैलेट पेपर पर अपने उम्मीदवार को मार्क करता है. फिर बाहर आकर बैलेट पेपर को एक बॉक्स में डाल देता है. इस तरह इराक में वोटिंग करने के वीडियो वायरल हो रहे हैं.

329 सांसदों का होगा चयन
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इराक में मतदाता संसद के 329 सदस्यों का चयन करेंगे. इनमें से कम से कम 25 प्रतिशत यानी 83 सीटें महिलाओं को मिलेंगी. इराक के सुरक्षा कर्मियों और 26,000 विस्थापित लोगों के लिए प्रारंभिक मतदान रविवार को ही हो गया था. बाकी बचे लोगों के लिए मंगलवार को वोटिंग हुई.

चुनाव मैदान में हैं इतने उम्मीदवार
इस चुनाव में 7,744 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से अधिकांश सांप्रदायिक राजनीतिक दलों और गुटों से संबद्ध हैं - जो अमेरिकी आक्रमण के बाद लागू की गई "मुहाससा" (कोटा) प्रणाली का प्रत्यक्ष परिणाम है.

मुहासासा इराक के विविध जातीय और धार्मिक समुदायों के बीच आनुपातिक प्रतिनिधित्व लाने का एक प्रयास था. इस प्रणाली के अनुसार, संसद का अध्यक्ष हमेशा सुन्नी, प्रधानमंत्री शिया और राष्ट्रपति कुर्द होगा.

इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी के नेतृत्व वाला एक शक्तिशाली शिया गुट तथा वर्तमान नेता मोहम्मद शिया अल-सुदानी के नेतृत्व वाला गठबंधन भी भाग लेगा.

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वोटिंग के लिए बनाए गए थे 8703 बूथ
एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, आम चुनाव के लिए देश भर में कुल 8,703 मतदान केंद्र बनाए गए थे. कुल 32 मिलियन पात्र मतदाताओं में से केवल 21.4 मिलियन ने ही मतदान से पहले अपनी जानकारी अपडेट की और मतदाता कार्ड प्राप्त किए, जो कि 2021 के पिछले संसदीय चुनाव से कम है, जब लगभग 24 मिलियन मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था.

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