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बस ड्राइवर ने की 700 की चोरी, चुकाने पड़े 70 लाख... करप्शन पर ऐसा कानून नहीं देखा होगा!

दुनिया में कुछ देश ऐसे हैं, जहां करप्शन के लिए जीरो टॉलरेंस है. यही वजह है कि जब कोई उस देश की तरक्की को देखता है, तो लोगों को पता चलता है कि इस सिस्टम की मजबूती की वजह से ऐसा ही हुआ है. जापान उनमें से एक है, जहां जरा सा भी करप्शन करने पर भी आपको जिंदगी भर की पूंजी गंवानी पड़ सकती है.

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 बस ड्राइवर ने  700 की चोरी, मिली 70 लाख की सजा! (सांकेतिक तस्वीर-Pexel)
बस ड्राइवर ने 700 की चोरी, मिली 70 लाख की सजा! (सांकेतिक तस्वीर-Pexel)

दुनिया में कुछ देश ऐसे हैं, जहां करप्शन के लिए जीरो टॉलरेंस है. यही वजह है कि जब कोई उस देश की तरक्की को देखता है, तो लोगों को पता चलता है कि इस सिस्टम की मजबूती की वजह से ऐसा ही हुआ है. जापान उनमें से एक है, जहां जरा सा भी करप्शन करने पर भी आपको जिंदगी भर की पूंजी गंवानी पड़ सकती है.

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हाल ही में जापान में ऐसा मामला सामने आया, जो करप्शन के खिलाफ सिस्टम के लिए लोगों का नजीर बन गया. आइए जानते हैं, पूरा मामला क्या है. AFP न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के क्योटो शहर का एक बस ड्राइवर 7 डॉलर (करीब 1,000 येन) की चोरी के आरोप में 84,000 डॉलर (करीब 70 लाख रुपये) की पेंशन से हाथ धो बैठा. रिपोर्ट के मुताबिक, इस बस ड्राइवर ने 29 साल तक ईमानदारी से सेवा दी थी, लेकिन एक घटना से उसे ज़िंदगी भर की पेंशन से हाथ धोना पड़ा।

क्या था मामला?
2022 में 58 साल के ड्राइवर को बस में लगे डैशकैम में कैद किया गया, जिसमें वह एक यात्री से मिले 1,000 येन को किराए की मशीन में डालने की बजाय खुद की जेब में डालते हुए नजर आया. हालांकि उस समय बस में 5 यात्री थे, जिन्होंने कुल 1,150 येन का किराया दिया था. जब घटना की जांच हुई, तो ड्राइवर ने शुरुआत में चोरी से इनकार किया, लेकिन वीडियो फुटेज ने सच्चाई सामने ला दी.

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अदालत तक पहुंचा मामला
ड्राइवर को नौकरी से निकाल दिया गया और उनकी 29 साल की सेवाओं की पेंशन रोक दी गई. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ मुकदमा किया, जिसमें निचली अदालत ने सजा को अत्यधिक बताते हुए उनके पक्ष में फैसला दिया.

लेकिन जापान की सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पलटते हुए क्योटो शहर के फैसले को बहाल कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की हरकतें सार्वजनिक सेवाओं की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती हैं.

सोशल मीडिया पर लोगों ने क्या कहा

हालांकि सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर अलग-अलग राय देखने को मिल रही है. किसी के मुताबिक, ये उतना बड़ा करप्शन नहीं है, जितनी बड़ी उसे सजा मिली. अदालत को ये भी देखना चाहिए था कि उसने 29 साल ईमानदारी से सेवा की. वहीं किसी का कहना है कि इस मामले को छोटा या बड़ा से नहीं देखना चाहिए. करप्शन की ये शुरुआत भर है. इसे शुरुआत से ही रोका जाना चाहिए.

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