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मथुरा-वृंदावन की भीड़ से बचना है? इस साल इन 5 शहरों में मनाएं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 इस बार 16 अगस्त को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी. आमतौर पर इस त्योहार की सबसे भव्य छटा मथुरा और वृंदावन में देखने को मिलती है. अगर आप इस जन्माष्टमी पर आध्यात्मिक अनुभव चाहते हैं, लेकिन मथुरा नहीं जा पा रहे, तो ये 6 स्थान आपके लिए परफेक्ट विकल्प हैं.

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जयपुर से मुंबई तक इन शहरों में मनाएं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Photo- Pixabay)
जयपुर से मुंबई तक इन शहरों में मनाएं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Photo- Pixabay)

इस बार 16 अगस्त को पूरे देश में जन्माष्टमी मनाई जाएगी. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. आमतौर पर मथुरा और वृंदावन को ही श्रीकृष्ण भक्ति का केंद्र माना जाता है. देश भर से लोग यहां खासतौर पर इस मौके पर आते हैं. वैसे भारत में ऐसे कई जगह हैं, जहां कान्हा का जन्मोत्सव उतनी ही आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है. अगर आप इस जन्माष्टमी पर मथुरा नहीं जा पा रहे हैं, तो इन 5 जगहों पर जाकर श्रीकृष्ण की भक्ति, अद्भुत झांकियां, भजन और रात्रि आरती का अनुभव ले सकते हैं.

जयपुर, राजस्थान: जयपुर का श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर अपनी जीवंत मूर्तियों और विशेष परंपराओं के लिए जाना जाता है. जन्माष्टमी के दिन यहां का माहौल देखने लायक होता है. यहां की सबसे अनोखी परंपरा यह है कि मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति को हर दिन घड़ी पहनाई जाती है. मान्यताओं के अनुसार, यह मूर्ति इतनी सजीव है कि इसके प्राण और धड़कनें चलती हैं, इसलिए घड़ी पहनाकर इसका समय और ध्यान रखा जाता है. यह मंदिर फूलों और दीयों से सजाया जाता है, जहां हज़ारों भक्त कान्हा के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं.

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पुरी, ओडिशा: पुरी का जगन्नाथ मंदिर श्रीकृष्ण भक्तों के लिए एक और महत्वपूर्ण स्थान है. यहां जन्माष्टमी का उत्सव कई दिन पहले से ही शुरू हो जाता है. इस विशेष दिन पर भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा की विशेष पूजा की जाती है. मंदिर में रात के समय होने वाली आरती और झांकियां मन को शांति देती हैं. पुरी में जन्माष्टमी मनाने का अनुभव एक अलग ही आनंद देता है, जहां आप श्रीकृष्ण की लीलाओं को झांकियों के रूप में देख सकते हैं.

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मुंबई, महाराष्ट्र: मुंबई में जन्माष्टमी का सबसे बड़ा आकर्षण दही-हांडी उत्सव है. श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को जीवंत करने वाला यह आयोजन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. दादर, ठाणे, लालबाग और वर्ली जैसे इलाकों में हजारों की संख्या में गोविंदा मंडल इस उत्सव में भाग लेते हैं. पिरामिड बनाकर दही-हांडी तोड़ने के इस रोमांचक कार्यक्रम में लाखों रुपये के इनाम भी रखे जाते हैं, जिससे यह भक्ति के साथ-साथ एक बड़ा सांस्कृतिक उत्सव भी बन गया है.

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कुरुक्षेत्र, हरियाणा: कुरुक्षेत्र वह पावन भूमि है जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था. जन्माष्टमी के दिन यहां के हर मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. मंदिरों में विशेष झांकियां, संगीत कार्यक्रम और श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित होती हैं. यह स्थान खासतौर पर धार्मिक यात्रियों के लिए उत्तम माना जाता है, जहां आप कृष्ण-भक्ति के साथ-साथ ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अनुभव भी ले सकते हैं.

उडुपी, कर्नाटक: दक्षिण भारत में जन्माष्टमी मनाने का एक अनूठा अनुभव लेना चाहते हैं, तो उडुपी एक बेहतरीन विकल्प है. यहां का श्री कृष्ण मठ जन्माष्टमी के दौरान विशेष रूप से सजता है. इस पर्व को यहां 'गोकुलाष्टमी' के नाम से भी जाना जाता है. यहां की परंपराएं और उत्सव उत्तर भारत से थोड़ी अलग हैं, जिसमें रात में अभिषेक के बाद विशेष प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है.

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