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टीवी, गेम और मोबाइल से बच्चों का दिल हो रहा बीमार! रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा

साइंस डेली जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों की सेहत खराब कर रहा है. स्टडी में खुलासा हुआ है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम की वजह से बच्चों का हार्ट भी कमजोर हो रहा है.

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ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों पर असर (AI Photo)
ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों पर असर (AI Photo)

आज के डिजिटल ज़माने में बच्चे और टीनेजर्स हर वक्त किसी न किसी स्क्रीन के सामने रहते हैं. कभी फोन, कभी टैबलेट, कभी टीवी या गेमिंग कंसोल. लेकिन अब एक नई रिसर्च ने पैरेंट्स के लिए बड़ा अलर्ट जारी किया है.

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के सपोर्ट से डेनमार्क में हुई एक स्टडी ने बताया है कि बच्चों का ज़्यादा स्क्रीन टाइम उनके दिल और मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है.

रिसर्च के मुताबिक, 10 साल के बच्चों से लेकर 18 साल तक के किशोरों पर इस डिजिटल आदत का असर साफ़ देखा गया. जितना ज़्यादा समय उन्होंने स्क्रीन पर बिताया, उनमें ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन रेज़िस्टेंस जैसे रिस्क फैक्टर्स बढ़ते दिखे. यानी सीधी भाषा में कहें तो स्क्रीन पर हर अतिरिक्त घंटा बच्चों के दिल की सेहत पर भारी पड़ रहा है.

स्टडी में ये भी सामने आया कि जिन बच्चों की नींद पूरी नहीं होती, उनमें ये जोखिम और ज़्यादा बढ़ जाता है. मतलब अगर बच्चा देर रात तक मोबाइल चला रहा है और नींद कम ले रहा है, तो उसके शरीर के अंदर एक ‘मेटाबॉलिक फ़िंगरप्रिंट’ बन रहा है. एक ऐसा जैविक निशान जो आगे चलकर हार्ट डिज़ीज़ या डायबिटीज़ जैसी बीमारियों की वजह बन सकता है.

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रिसर्चर्स ने कहा कि ये सिर्फ़ एक व्यवहारिक (behavioral) समस्या नहीं है, बल्कि इसका सीधा जैविक (biological) असर पड़ रहा है. उन्होंने बच्चों के ब्लड सैंपल्स का विश्लेषण किया और पाया कि जिनका स्क्रीन टाइम ज़्यादा था, उनके खून में ऐसे तत्व मिले जो मेटाबॉलिक असंतुलन (imbalance) की ओर इशारा करते हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि ये नतीजे पैरेंट्स के लिए चेतावनी हैं. आजकल बच्चे दिन का बड़ा हिस्सा फोन, टीवी या गेम्स में गुज़ार रहे हैं, लेकिन यही आदत धीरे-धीरे उनके दिल की सेहत के लिए ख़तरा बन रही है. इसलिए पैरेंट्स को अब बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करने और नींद पर ध्यान देने की ज़रूरत है.

स्टडी की लीड ऑथर ने कहा, ‘हमने पाया कि स्क्रीन टाइम और कार्डियोमेटाबॉलिक रिस्क के बीच सीधा संबंध है. यह ज़रूरी है कि बच्चे और किशोर स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं,  जिसमें संतुलित स्क्रीन टाइम, पर्याप्त नींद और शारीरिक गतिविधियाँ शामिल हों'

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पैरेंट्स को अब बच्चों की डिजिटल आदतों पर नज़र रखनी होगी. बच्चों को स्क्रीन से दूर रखने के लिए परिवारिक गतिविधियां, आउटडोर गेम्स और किताबें पढ़ने जैसी चीज़ों को बढ़ावा देना चाहिए. साथ ही, सोने से कम से कम एक घंटे पहले सभी स्क्रीन बंद कर देना सबसे बेहतर उपाय है, क्योंकि यही वक्त बच्चों के दिमाग़ और दिल दोनों को आराम देता है.

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