क्रिकेट में कई बल्लेबाज आए जिन्होंने ताकत से मैदान जीता... लेकिन कुछ ऐसे भी हुए, जिन्होंने अपनी कलाइयों से दिल जीत लिए. वीवीएस लक्ष्मण उन्हीं में से एक थे. एक ऐसे कलाकार, जिनके स्ट्रोक्स में न शोर था, न जल्दबाजी, बस सौंदर्य, लय और शांति थी. उनका बल्ला जैसे संगीत रचता था, और हर शॉट एक कहानी कहता था.
1 नवंबर 1974 को हैदराबाद में जन्मे वीवीएस लक्ष्मण आज 51 साल के हो गए. हर जन्मदिन पर जब उनका नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले याद आती है कोलकाता (मार्च 2001) की 281 रनों की अद्भुत पारी, जिसने न केवल ऑस्ट्रेलिया का विजय रथ रोका, बल्कि भारतीय क्रिकेट का आत्मविश्वास भी लौटा दिया. वह पारी अमर है, इतिहास में दर्ज है… लेकिन खुद लक्ष्मण उसे अपने करियर का टर्निंग प्वाइंट नहीं मानते.
2️⃣2️⃣0️⃣ Intl matches
— BCCI (@BCCI) November 1, 2025
1️⃣1️⃣1️⃣1️⃣9️⃣ Intl runs
2️⃣3️⃣ Intl hundreds
Here's wishing #TeamIndia legend and Head of BCCI Centre of Excellence (COE) VVS Laxman, a very happy birthday 🎂🥳 @VVSLaxman281 pic.twitter.com/qkxaGQrXbk
‘281’ नहीं, सिडनी की 167 रनों की पारी थी असली शुरुआत
लक्ष्मण स्वीकार कर चुके हैं, '281 रनों की पारी नहीं, बल्कि 2000 में सिडनी टेस्ट में खेली गई 167 रनों की पारी ने मेरा करियर बदल दिया. इससे पहले तक मुझे अपनी काबिलियत पर भरोसा ही नहीं था. डेब्यू के बाद कई पारियां खेलीं, लेकिन कभी अर्धशतक को शतक में नहीं बदल पाया था. उस शतक के बाद ही आत्मविश्वास लौटा और अगले घरेलू सीजन में मैंने 1400 से ज्यादा रन बनाए.'
वह सिडनी की पारी लक्ष्मण की जिद, धैर्य और नाजुक टच का संगम थी. जब भारत 33 पर तीन विकेट गंवा चुका था, तब वह अकेले खड़े रहे.गांगुली के साथ उन्होंने पारी को संभाला, 198 गेंदों में 167 रन ठोके और भले भारत वह टेस्ट हार गया, लेकिन लक्ष्मण जीत गए. वहीं से शुरू हुई उनकी वह यात्रा, जो आगे जाकर उन्हें “Very Very Special” बना गई.
... घरेलू क्रिकेट में भी रचा कीर्तिमान
उस पारी के बाद लक्ष्मण का बल्ला रुकने का नाम नहीं ले रहा था. रणजी ट्रॉफी के 1999-2000 सीजन में उन्होंने हैदराबाद के लिए 1415 रन बनाए, यह रिकॉर्ड आज तक कायम है.राहुल दलाल (1340 रन), मिलिंद कुमार (1331 रन) और श्रेयस अय्यर (1321 रन) जैसे बल्लेबाज उस आंकड़े के करीब पहुंचे, लेकिन पार नहीं कर सके. यह वही दौर था जब लक्ष्मण ने अपने नाम के हर अक्षर में “स्थिरता और सौंदर्य” को जोड़ दिया था.
कंगारुओं के खिलाफ ‘स्पेशल’ कहानी
ऑस्ट्रेलिया लक्ष्मण के लिए जैसे एक भावनात्मक पात्र रहा, कभी उन्हें परखा, कभी उन्हें चुनौती दी, और अंत में वही देश उनकी सबसे बड़ी कहानी बन गया. उन्होंने अपने 11,119 अंतरराष्ट्रीय रनों में से 3173 रन सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए. दो दोहरे शतक, और अनगिनत बार उनके खिलाफ खेली गई निर्णायक पारियां- ये सब बताती हैं कि कंगारुओं के सामने लक्ष्मण का बल्ला किसी सिम्फनी की तरह बजता था.

सचिन तेंदुलकर के बाद वह दूसरे भारतीय बने, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2000 से ज्यादा टेस्ट रन बनाए. लेकिन 281 वाली पारी- वह तो मानो कविता थी, जिसने क्रिकेट के मैदान को मंदिर बना दिया था. उसमें द्रविड़ के साथ 376 रनों की साझेदारी, फॉलोऑन में खेली गई दृढ़ता और जीत के बाद की आंखों की चमक... सब कुछ आज भी भारतीय क्रिकेट की आत्मा में दर्ज है.
एडिलेड, दिल्ली, मोहाली- हर जगह एक नई मिसाल
2003 में एडिलेड में 148 रनों की पारी ने भारत को विदेशी जमीन पर जीत दिलाई. द्रविड़ (233) के साथ 303 रनों की साझेदारी आज भी ऑस्ट्रेलिया के दिल में गूंजती है.2008 में दिल्ली में नाबाद दोहरा शतक और 2010 में मोहाली में पीठ दर्द के बावजूद नाबाद 73 रन...हर बार उन्होंने साबित किया कि क्लास कभी थकता नहीं.
मोहाली टेस्ट में जब भारत के आठ विकेट 124 पर गिर चुके थे और जीत 216 की दूरी पर थी, तब लक्ष्मण दर्द में झुककर नहीं, बल्कि अडिग मुस्कान के साथ डटे रहे. ईशांत शर्मा और प्रज्ञान ओझा के साथ उन्होंने भारत को एक विकेट से जीत दिलाई. वह पल था, जब पूरा मोहाली “VVS! VVS!” से गूंज उठा.
वीवीएस लक्ष्मण का एक अधूरा सपना
वीवीएस लक्ष्मण ने 134 टेस्ट में 8781 रन और 86 वनडे में 2338 रन बनाए. 17 टेस्ट और 6 वनडे शतक... लेकिन एक सपना अधूरा रह गया. वह कभी वर्ल्ड कप नहीं खेल पाए. विडंबना देखिए- अपने पहले वनडे में भी शून्य पर आउट हुए, और आखिरी वनडे में भी.
‘कलाई के जादूगर’ ... VVS
लक्ष्मण के हर स्ट्रोक में न कोई जोर था, न दिखावा- बस कला थी. वह बल्लेबाज जिसने सिखाया कि क्रिकेट में सौंदर्य भी जीत सकता है. आज जब उनका नाम लिया जाता है, तो 281 की गूंज सुनाई देती है, लेकिन सच्चाई यह है लक्ष्मण की असली कहानी उस 167 रनों से शुरू हुई थी, जिसने उन्हें भरोसा और हौसला दिया..