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कोटा प्लेयर का टैग, बॉडी शेमिंग... टेम्बा बावुमा की कहानी जिन्होंने साउथ अफ्रीका का क्रिकेट इतिहास बदल दिया

टेम्बा बावुमा की कप्तानी में साउथ अफ्रीका ने 27 साल बाद आईसीसी खिताब जीता. इस जीत के बाद टेम्बा बावुमा साउथ अफ्रीका के नेशनल हीरो बन चुके हैं. बावुमा की कैप्टेंसी में साउथ अफ्रीकी टीम टेस्ट क्रिकेट में अजेय रही है. बावुमा टेस्ट मैचों में बिना हार के बतौर कप्तान सबसे अधिक जीत दर्ज करने वाले प्लेयर हैं.

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Temba Bavuma
Temba Bavuma

चोट खाई कई बार, मगर आवाज न की,
हर जख्म में उम्मीद थी, बस बात न की.
अब मुकम्मल हुई कहानी, ताज सिर पे सजा,
पूरा हुआ वो सपना, जो उन्होंने सोचा न था.

ये पंक्तियां साउथ अफ्रीकी क्रिकेट टीम पर फिट बैठती हैं, जिसने चंद दिनों पहले ही लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर इतिहास रचा. इस ग्राउंड पर टेम्बा बावुमा की कप्तानी में साउथ अफ्रीकी टीम ने टेस्ट चैम्पियन बनकर वो सपना पूरा किया, जिसका उसे और उसके फैन्स को वर्षों से इंतजार रहा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) के तीसरे चक्र (2023-25) के फाइनल में मिली इस जीत ने साउथ अफ्रीकी क्रिकेट को नई उम्मीदें दी हैं.

इस ऐतिहासिक जीत के सूत्रधार साउथ अफ्रीकी कप्तान टेम्बा बावुमा रहे. बावुमा ने जब टेस्ट कप्तानी संभाली, तब किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि वह ऐसा रिजल्ट हासिल करेंगे. अब उनकी कप्तानी में टीम की किस्मत चमक उठी है. साउथ अफ्रीका पहले भी आईसीसी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल या फाइनल में पहुंचा, लेकिन उसे इकलौती खिताबी जीत 1998 में मिली थी, जब उसने विल्स इंटरनेशनल कप जीता. वो विल्स इंटरनेशनल कप आगे चलकर आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के नाम से जाने लगा. अब 27 साल बाद उसे दूसरी बार आईसीसी इवेंट में खिताबी जीत नसीब हुई है.

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35 वर्षीय टेम्बा बावुमा के लिए केपटाउन के अश्वेत बहुल कस्बे लैंगा की गलियों से लॉर्ड्स तक का सफर आसान नहीं रहा है. वैसे बावुमा ने 10 साल की उम्र में ही लॉर्ड्स में खेलने का सपना देख लिया था. बावुमा में टैलेंट तो बचपन से ही था, जब उन्हें 11 साल की उम्र में ही स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप मिल गई थी. बावुमा के पास ना तो लंबाई थी, ना ही ताकत, लेकिन उनका खेल धैर्य और तकनीक पर आधारित रहा. जब बावुमा ने जोहानिसबर्ग के सेंट डेविड्स मेरिस्ट कॉलेज में दाखिला लिया, तो उनकी स्किल में काफी सुधार हुआ. इसी बीच बावुमा सोवेटो क्रिकेट क्लब से भी जुड़े रहे, जहां कोच जियोफ्री टोयाना ने गाइड किया.

टेम्बा बावुमा की मेहनत रंग लाई और 18 साल की उम्र में उन्होंने गौतेंग के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया. फिर 2010-11 के सीजन में वो लॉयन्स फ्रेंचाइजी से जुड़े. बावुमा की बैकफुट तकनीक काफी मजबूत थी, जिसके कारण उन्होंने दूसरे ही सीजन में 45 से ज्यादा की औसत से रन बनाए. फिर 2013-14 में उन्हें लायन्स का उप-कप्तान बना दिया गया. घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के दम पर वे साउथ अफ्रीका-ए टीम का हिस्सा बने और फिर 2014 के आखिर में उन्हें साउथ अफ्रीका की टेस्ट टीम में चुना गया.

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खिताबी जीत का जश्न मनाते टेम्बा बावुमा, फोटो: AFP/Getty Images

टेम्बा बावुमा का टेस्ट डेब्यू 26 दिसंबर 2014 को गकेबरहा में वेस्टइंडीज के खिलाफ हुआ, जहां वो सिर्फ 10 रन बना पाए. देखा जाए तो  शुरुआती सालों में बावुमा इंटरनेशनल क्रिकेट में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके. इसके बावजूद उन्हें मार्च 2021 में साउथ अफ्रीका की टी20 और वनडे टीम का कप्तान बनाया गया. टी20 वर्ल्ड कप 2022 में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बावुमा ने इस फॉर्मेट कप्तानी छोड़ दी. हालांकि बावुमा पर क्रिकेट साउथ अफ्रीका (CSA) का भरोसा कायम रहा और उन्हें 2023 की शुरुआत में डीन एल्गर की जगह टेस्ट टीम की कमान सौंपी गई.

टेम्बा बावुमा को जब साउथ अफ्रीका का टेस्ट कप्तान नियुक्त किया गया, तो सवाल उठे कि क्या वो इसके योग्य हैं. उन्हें कोटा प्लेयर का टैग दिया गया. उनकी बॉडी शेमिंग तो होती ही रही है. बता दें कि साल 2016 में शुरू की गई नीति के अनुसार साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम को अपनी प्लेइंग-11 में कम से कम छह अश्वेत (ब्लैक) खिलाड़ियों को शामिल करना होगा, इनमें से कम से कम दो ब्लैक अफ्रीकी होने चाहिए. 

यह नियम एक सीजन के औसत के तौर पर लागू होता है. यानी हर मैच में ऐसा होना जरूरी नहीं है, लेकिन पूरे सीजन में औसतन ऐसा होना चाहिए. उदाहरण के लिए डब्ल्यूटीसी फाइनल में जो साउथ अफ्रीकी टीम उतरी, उसमें टेम्बा बावुमा, लुंगी एंगिडी और कगिसो रबाडा ब्लैक अफ्रीकी खिलाड़ी रहे. वहीं प्लेइंग-11 में केशव महराज भी एक अन्य अश्वेत खिलाड़ी थे, जो भारतीय मूल के हैं. यानी प्लेइंग-11 में चार खिलाड़ी ही अश्वेत थे, लेकिन संभव है कि पूरे WTC चक्र में यह औसत 6 या उससे ऊपर का रहा हो.

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साउथ अफ्रीका की खिताबी जीत में जितनी भूमिका एडेन मार्करम की रही. उतना ही अहम योगदान कगिसो रबाडा, लुंगी एनगिडी और टेम्बा बावुमा का भी रहा. वर्षों तक रंगभेद के दौर को झेलने वाला साउथ अफ्रीका को बावुमा के रूप में एक नया हीरो मिला है. साउथ अफ्रीकी कप्तान को टेम्बा नाम उनकी दादी ने दिया. जुलु भाषा में टेम्बा का मतलब 'उम्मीद' होता है. जब उनके नाम का अर्थ ही उम्मीद हो, तो वो फिर हार कहां से मानते.

डब्ल्यूटीसी फाइनल में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला. साउथ अफ्रीकी टीम के रनचेज के दौरान टेम्बा बावुमा की हैमस्ट्रिंग खिंच गई. इसके चलते बावुमा कराहते और लंगड़ाते हुए दिखाई दिए. टीम के हेड कोच शुकरी कॉनराड को डर था कि बावुमा की इंजरी और बढ़ सकती है, ऐसे में वो कप्तान को वापस बुलाना चाहते थे, लेकिन बावुमा ने दर्द के बावजूद खेलना जारी रखा. बावुमा और एडेन मार्करम के बीच तीसरे विकेट के लिए 147 रनों की पार्टनरशिप हुई, जिसने मैच को ऑस्ट्रेलिया से दूर कर दिया.

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टेम्बा बावुमा और एडेन मार्करम, फोटो: ICC

टेस्ट कप्तान बनने से पहले बावुमा का बैटिंग औसत 54 मैचों में 34.53 था, लेकिन कप्तानी संभालने के बाद उन्होंने टीम की किसम्त ही नहीं बदली, उनकी बल्लेबाजी में और निखार आया. बावुमा का बतौर कप्तान टेस्ट क्रिकेट में बैटिंग एवरेज 10 मैचों में 56.93 हो चुका है. बावुमा की कप्तानी में साउथ अफ्रीकी टीम टेस्ट क्रिकेट में अजेय रही है. बावुमा टेस्ट मैचों में बिना हार के बतौर कप्तान सबसे अधिक जीत दर्ज करने वाले प्लेयर बन चुके हैं. बावुमा की कप्तानी में साउथ अफ्रीका ने 10 में से 9 टेस्ट जीते हैं, जबकि वेस्टइंडीज के खिलाफ उनकी कप्तानी में साउथ अफ्रीकी टीम ने एक मुकाबला ड्रॉ खेला था. 

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टेम्बा बावुमा साउथ अफ्रीका के लिए टेस्ट क्रिकेट में शतक जड़ने वाले पहले ब्लैक अफ्रीकी क्रिकेटर हैं. साथ ही वो साउथ अफ्रीका के पहले ब्लैक अफ्रीकी कप्तान भी हैं. बावुमा ने खिताबी जीत के बाद आलोचकों को भी निशाने पर लिया, जो उनपर और टीम पर शक कर रहे थे. बावुमा कहते हैं, 'एक टीम के तौर पर हमने यहां तक पहुंचे हैं. कुछ लोगों को हमारे सफर पर शक था. कहा गया कि हमने कमजोर टीमों को हराकर यहां तक का सफर तय किया. यह जीत देशवासियों के लिए है, जिनके लिए ये भावुक पल है. इसे पूरी तरह महसूस करने में शायद हमें कुछ दिन लगेंगे. मुझे यकीन है कि देशवासी इस पल को खुलकर मना रहे होंगे.'

ये कहना अनुचित नहीं होगा कि टेम्बा बावुमा ने साउथ अफ्रीकी क्रिकेट का इतिहास बदल दिया है. भले ही बावुमा मौजूदा दौर के बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों में ना गिने जाते हों, लेकिन उनका खेल में धैर्य और टीम को साथ लेकर चलने की क्षमता काबिल-ए-तारीफ रही है. बावुमा को उनके आगे के सफर के लिए शुभकामनाएं....

टेम्बा बावुमा का टेस्ट करियर
कुल मुकाबले: 64
रन: 3708
औसत: 38.22
शतक: 4
फिफ्टी: 25
छक्के: 16
चौके: 425

टेम्बा बावुमा का ODI करियर
कुल मुकाबले: 48
रन: 1847
औसत: 43.97
शतक: 5
फिफ्टी: 7
छक्के: 26
चौके: 186

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टेम्बा बावुमा का टी20I करियर
कुल मुकाबले: 36
रन: 670
औसत: 21.61
शतक: 0
फिफ्टी: 1
छक्के: 16
चौके: 62

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