कोलकाता के चमकते आसमान के तले... हरा-भरा ईडन गार्डन्स- ठीक 11 साल पहले यहां आज ही के दिन (13 नवंबर, 2014) क्रिकेट की दुनिया ने ऐसा नजारा देखा जो हमेशा याद रहेगा. रोहित शर्मा, जिन्हें तब ‘टैलेंटेड, लेकिन अधूरा’ कहा जाता था, उस दिन सिर्फ बल्लेबाज नहीं, जादूगर बने. उन्होंने ऐसा करिश्मा किया कि उनका नाम हमेशा के लिए क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो गया.
उस मैच से पहले रोहित चोट से उबरकर लौटे थे. उंगलियों की चोट ने उन्हें महीनों तक रोक रखा था, लेकिन शायद किस्मत जानती थी- यह वापसी साधारण नहीं होने वाली थी. श्रीलंका के खिलाफ सीरीज का चौथा वनडे, ईडन का मैदान और स्टैंड्स में उम्मीद की गूंज. शुरुआत में सब सामान्य था. पहले 50 रन आए 72 गेंदों में, जैसे कोई लंबी यात्रा की धीमी शुरुआत. लेकिन फिर जैसे किसी ने भीतर का 'स्विच ऑन' कर दिया हो.
बल्ले से तूफान: ‘264’ की कहानी
इसके बाद रोहित का बल्ला नहीं, तूफान चला. गेंद सीमा पार करती... हर शॉट स्टेडियम के दिल में उतरता गया. उन्होंने 33 चौके और 9 छक्के जड़े. थर्ड मैन पर थिसारा परेरा का गिराया आसान कैच, श्रीलंका को बड़ा महंगा साबित हुआ. क्योंकि वहीं से शुरू हुई इतिहास की सबसे निर्मम, सबसे खूबसूरत पारी.
शतक आया रन-ए-बॉल, लेकिन अगले 164 रन सिर्फ 73 गेंदों में. 264 रनों का आंकड़ा सिर्फ रिकॉर्ड नहीं, बल्कि क्रिकेट का एक नया मापदंड बन गया, जो हमेशा 'हिटमैन' की याद दिलाएगा. भारत ने 404/5 का स्कोर खड़ा किया और श्रीलंका की पूरी टीम मिलकर भी 251 रन ही बना पाई. लेकिन इस मैच की याद किसी जीत या हार से नहीं, बल्कि उस ‘264’ से जुड़ी है, जो आज भी वनडे क्रिकेट का सबसे ऊंचा शिखर है.
🗓️ #OnThisDay in 2014
— BCCI (@BCCI) November 13, 2025
2⃣6⃣4⃣ runs
1⃣7⃣3⃣ deliveries
3⃣3⃣ fours & 9⃣ sixes
Former #TeamIndia captain @ImRo45 played an incredible knock to register the highest individual score in ODIs 👏⚡️ pic.twitter.com/ZNHXe9wieT
ग्यारह साल बाद: दूसरी पारी की तैयारी
लेकिन वक्त का पहिया घूम चुका है. ग्यारह साल बाद, वही रोहित शर्मा अब अपनी दूसरी पारी की तैयारी में हैं. इस बार रनों से नहीं, जज्बे से सबूत देने की ओर बढ़ रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक जमाकर लौटने के बाद अब वह घरेलू मैदान पर उतरने को तैयार हैं. बीसीसीआई ने साफ कहा- खेलना होगा घरेलू क्रिकेट. सूत्र बता रहे हैं कि वह विजय हजारे ट्रॉफी में खेलेंगे...क्योंकि उनके सामने एक ही लक्ष्य है- 2027 वर्ल्ड कप तक टिके रहना और भारत को चैम्पियन बनाने के लिए सबकुछ झोंक देना.
इतिहास को दोहराने की चुनौती
ये वही खिलाड़ी है, जिसने कभी बल्ले से इतिहास लिखा था और आज अपने ही इतिहास को दोबारा जीना चाहता है. कभी रिकॉर्ड्स के लिए खेला, अब खुद से बड़ी लड़ाई के लिए. कभी आलोचकों को जवाब देने निकले, अब वक्त को चुनौती देने जा रहे हैं.