इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2026 के लिए मिनी ऑक्शन से पहले रवींद्र जडेजा और संजू सैमसन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि राजस्थान रॉयल्स (RR) अपने कप्तान संजू को चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के स्टार ऑलराउंडर्स जडेजा और सैम करन के बदले ट्रेड कर सकती है. हालांकि ये सिर्फ अभी अफवाह है और आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है.
खिलाड़ियों के ट्रेड के लिए विंडो आईपीएल 2025 की समाप्ति के एक महीने बाद ही खुल गई थी. आईपीएल के मिनी ऑक्शन से एक हफ्ते पहले तक यह विंडो ओपन रहेगी. फिर मिनी ऑक्शन के बाद यह विंडो दोबारा खोली जाएगी और आईपीएल 2026 की शुरुआत से एक महीने पहले बंद होगी. आईपीएल में ट्रेडिंग विंडो साल 2009 में शुरू हुई थी. हर ट्रेड के लिए आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल की मंजूरी जरूरी होती है.
आईपीएल में ट्रेड दो प्रकार के होते हैं. पहला है वन-वे ट्रेड, जिसमें एक खिलाड़ी टीम A से टीम B में सिर्फ पैसों के बदले जाता है. इस ट्रेड में टीम B जहां खिलाड़ी को खरीदती है, वहीं टीम A को पूरी रकम मिलती है. टीम A को कोई खिलाड़ी वापस नहीं मिलता. उदाहरण के लिए मुंबई इंडियंस (MI) ने हार्दिक पंड्या को 15 करोड़ रुपये में गुजरात टाइटन्स (GT) से अपनी टीम में लिया था. लेकिन गुजरात को मुंबई की ओर से कोई खिलाड़ी वापस नहीं मिला.
दूसरा है टू-वे ट्रेड, जिसमें फ्रेंचाइजी टीम्स आपस में खिलाड़ी बदलती हैं. अगर दोनों खिलाड़ियों की कीमत अलग-अलग है, तो रकम में जितना अंतर होता है, उतनी रकम एक टीम दूसरी टीम को देती है. यानी खिलाड़ियों की अदला-बदली तो होती ही है, साथ ही कैश एडजस्टमेंट भी होता है.
क्या खिलाड़ी की सहमति जरूरी है?
किसी भी खिलाड़ी को उसकी मर्जी के बिना ट्रेड नहीं किया जा सकता. इसके लिए खिलाड़ी की लिखित सहमति लेना अनिवार्य है. उदाहरण के लिए हार्दिक पंड्या ने खुद मुंबई इंडियंस में लौटने की इच्छा जताई थी, उसके बाद ही ट्रेड की प्रक्रिया शुरू हुई थी. अगर फ्रेंचाइजी टीम खिलाड़ी को छोड़ना नहीं चाहती, तो भी ट्रेड नहीं हो सकता.
जडेजा को क्यों बैन किया गया था?
साल 2010 में रवींद्र जडेजा ने राजस्थान रॉयल्स के साथ नया कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया और मुंबई इंडियंस से सीधे बातचीत शुरू कर दी थी. यह आईपीएल में ट्रेड नियमों का उल्लंघन था, इसलिए उन्हें 1 सीजन के लिए सस्पेंड किया गया था. यानी खिलाड़ी तभी ट्रेड के लिए दूसरी टीम से बातचीत कर सकता है, जब उसकी टीम तैयार हो.
ट्रांसफर फीस क्या होती है?
ट्रांसफर फीस वह अतिरिक्त रकम है, जो एक फ्रेंचाइजी टीम किसी खिलाड़ी को खरीदने के दौरान दूसरी फ्रेंचाइजी टीम को देती है. यह प्लेयर प्राइस से अलग होती है. यह राशि ऑक्शन पर्स पर असर नहीं डालती. यह दोनों टीमों की आपसी सहमति से तय होती है. इसकी जानकारी सिर्फ आईपीएल और संबंधित फ्रेंचाइजी टीम्स को रहती है.
खिलाड़ी को ट्रांसफर फीस में हिस्सा मिलता है?
खिलाड़ी को ट्रांसफर फीस का 50 प्रतिशत तक मिल सकता है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं होती है. यह खिलाड़ी और टीम के बीच समझौते पर निर्भर करता है.
ट्रेड क्यों किया जाता है?
आईपीएल में ट्रेडिंग का सबसे बड़ा कारण वित्तीय संतुलन और टीम कॉम्बिनेशन होता है. पर्स मैनेजमेंट भी एक अहम पहलू होता है, जैसे मुंबई इंडियंस ने ग्रीन को 17.5 करोड़ में ट्रेड किया और हार्दिक को 15 करोड़ रुपये में अपने साथ जोड़ा. यानी मुंबई को 2.5 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था. कभी-कभी किसी खिलाड़ी को बेहतर भूमिका या अन्य टीम की जरूरत के हिसाब से बदला जाता है. फ्रेंचाइजी टीमें अपने स्क्वॉड को मजबूत करने के लिए ट्रेड डील का इस्तेमाल करती हैं.