भाई दूज के पावन अवसर पर रूपा अपने भाई से मिलने आई हैं। वे लंबे समय से मिलने की चाह रखती हैं और इस बार वह दो ढाई घंटे इंतजार के बाद अभी तक अपने भाई से नहीं मिली हैं।