टीका राम जूली का कहना है कि राजस्थान में अरावली की पहाड़ियां ज्यादातर सौ मीटर से कम ऊंचाई की हैं, इसलिए इस पर फैसला लेना जरूरी है कि कौन-सी पहाड़ी इस निर्णय की श्रेणी में आएगी और कौन-सी नहीं. विज्ञापनों के माध्यम से जनता को स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए. पहले भी सरिस्का में खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम पर भटकाव किया गया, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है और फिर से उसी तरह की गतिविधियां जारी हैं. राजस्थान की प्राकृतिक संपदा को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है और इसीलिए बहुत बड़े पैमाने पर जन आंदोलन चलाया जाएगा जो पूरे प्रदेश में गांव-गांव तक पहुंचेगा. हम अरावली की पहाड़ियों को बर्बाद होने से रोकने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.