रामदास अठावले ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने वंदे भारत का समर्थन किया था. वंदे मातरम सभी धर्मों के लिए प्रेरणा का स्रोत था, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बुद्धिस्ट, जैन, पारसी या लिंगायत हों. यह गीत देश की आजादी के आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा था और इसका विरोध करने की आवश्यकता नहीं थी.