पंडित पवन त्रिपाठी के मुताबिक, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. लेकिन, विश्व परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो निश्चित रूप से एक ही महीने में लगने वाले दो ग्रहण समाज और विश्व के लिए अच्छा नहीं है.