वर्ष 1951 में कांग्रेस ने वंदे मातरम के साथ संविधान को भी संशोधित किया जिसने मूल संविधान के चरित्र में बड़ा बदलाव किया. इस प्रथम संविधान संशोधन को कानून विशेषज्ञों ने 'सेकंड कॉन्स्टिट्यूशन' कहा. उस समय संविधान की आत्मा को बचाने के लिए संघर्ष भी हुआ. डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी ने इस संशोधन का कड़ा विरोध किया और पंडित नेहरू पर आरोप लगाया कि वे संविधान को रद्दी कागज की तरह व्यवहार कर रहे हैं.