राजीव शुक्ला ने कहा कि देश को 75-80 साल हो चुके हैं पर वंदे मातरम में डेढ़ सौ साल बाद बहस की शुरुआत हुई है। इस बहस में वंदे मातरम के महत्व और इसके विरोध के प्रस्ताव पर सवाल उठाए गए हैं। बताया जा रहा है कि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम के खिलाफ सवाल उठाना अपने सम्मान के खिलाफ माना।