देश के महान नेताओं का जो सपना था स्वतंत्र भारत का, आज की पीढ़ी का सपना है एक समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का. वंदे मातरम की भावना ने उन सपनों को सींचा है और हमें उसी भावना के साथ आगे बढ़ना है. हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना है, जो ट्वेंटी फोर्टी सेवन यानी 2047 तक विकसित भारत बने. उम्र कोई भी हो, आज़ादी के पहले के लोग भी आज़ाद भारत का सपना देखते थे, और अब हम भी समृद्ध भारत का सपना देख सकते हैं और उसे पूरा करने के लिए पूरी मेहनत कर सकते हैं.