वंदे मातरम के टुकड़े करने के फैसले को सामाजिक सद्भाव का कारण बताया गया था, लेकिन इतिहास इसे तुष्टिकरण की राजनीति के तहत कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग के दबाव में लिया गया कदम मानता है. कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने झुककर यह फैसला किया था. यह घटना उस समय की राजनीतिक परिस्थिति को दर्शाती है जहां दबाव और तुष्टिकरण के चलते महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रतीक को भी प्रभावित किया गया.