बंगाल के विभाजन के बाद देश में एक बड़ा स्वदेशी आंदोलन खड़ा हुआ था और उस समय हर जगह वंदे मातरम के गीत गूंजने लगे थे. अंग्रेजों ने महसूस कर लिया था कि बंगाल की धरती से निकला यह आंदोलन कितना मजबूत है. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम जैसे भावपूर्ण गीत के माध्यम से पूरे विश्व में एक नई चेतना जगाई. इस गीत ने अंग्रेजों को बहुत प्रभावित किया और अंततः वे इस गीत को कानूनी प्रतिबंधित करने पर मजबूर हो गए.