हैरानी की बात यह है कि मात्र 5000 रुपए में चपरासी को कॉपियां जांचने का जिम्मा सौंप दिया गया, जिससे छात्रों के भविष्य को दांव पर लगा दिया गया. जब यह पूरा मामला कैमरे में कैद होकर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो हड़कंप मच गया.