मनोज झा ने कहा कि नाम में राम होना किसी भी व्यक्ति को किसी भी काम के लिए छूट या लाइसेंस नहीं देता है। यह बात हमें याद रखनी चाहिए कि नाम महज पहचान है, लेकिन इसके आधार पर गलत कामों को सही नहीं ठहराया जा सकता। उदाहरण के तौर पर तीस जनवरी 1948 को हुए कांड के मुख्य आरोपी का नाम भी राम था।