शायद ही सुना हो कि इंसानों की तर्ज पर जानवरों और मवेशियों को भी साप्ताहिक अवकाश दिया जाता हो. ये परंपरा झारखंड में लातेहर के 20 से ज्यादा गांवों में 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है.