भारतीय सेना के अधिकारी कर्नल कुलदीप यादव ने इस उपकरण को विकसित किया है और इसके पेटेंट के लिए उन्होनें साल 2021 में ही आवेदन किया था, जिसे अब सर्टिफाई कर दिया गया है.