भारत पर पच्चीस प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बावजूद भारत-रूस के ऊर्जा सहयोग में कोई फर्क नहीं पड़ा है. ये दबाव असल में राजनीतिक है जो आर्थिक हितों को साधने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत और रूस के बीच भरोसे पर आधारित लंबे समय से ऊर्जा समझौता है. यूक्रेन की घटनाओं का भारत के ऊर्जा समझौते पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. बड़ी तेल कंपनी ने भारत में रिफाइनरी का अधिग्रहण किया है जो विदेशी निवेश का सबसे बड़ा उदाहरण है.