बिहार के लोग इस वक्त गंभीर राजनीतिक हालातों के बीच फंसे हुए हैं जहां उन्हें कोई विकल्प नहीं दिख रहा है. जनता को ऐसा लगता है कि राज्य का नेतृत्व सिर्फ नीतीश कुमार के हाथ में है. उनकी मजबूरी यही है कि उनके पास कोई दूसरा नेता या विकल्प उपलब्ध नहीं है जो राज्य की बेहतरी के लिए काम कर सके.