एक समय था जब शुक्रवार किसी त्योहार से कम नहीं होता था. नई फिल्म का रिलीज होना मतलब था जोश, भीड़ के साथ टिकट की लाइन में लगना, पॉपकॉर्न की खुशबू और दो घंटे के लिए किसी दूसरी दुनिया में खो जाने का एहसास.आज के समय में वो उत्साह मानो धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.