2014 के बाद कई राज्यों में मतदान और चुनाव परिणामों को लेकर मतदाता सूची को लेकर विभिन्न दावे और विरोध सामने आए हैं. कई राज्यों में जीत और हार के बीच मतदाता सूची की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं. ये विवाद यह दिखाते हैं कि चुनाव आयोग की भूमिका को जीत के आधार पर अलग तरीके से देखा जाता है. राजनीतिक दल मतदाता सूची को लेकर अलग-अलग रुख अपनाते हैं, जो लोकतंत्र में दोहरा मानदंड दर्शाता है.