चुनाव आयोग ने बताया कि साल 2014 से 2025 तक उन्हें कोई सुझाव प्राप्त नहीं हुआ जबकि मैं और सिविल सोसाइटी ने कई बार अलग-अलग चिट्ठियाँ भेजीं. इन सुझावों को आयोग ने स्वीकार भी नहीं किया. इंडिया एलायंस की करीब बाईस राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग से मिलने का अनुरोध किया लेकिन चुनाव आयोग ने मिलने का समय तक नहीं दिया। यह स्थिति काफी अजीब और निराशाजनक है क्योंकि लोकतंत्र की प्रक्रिया में चुनाव आयोग की भूमिका अहम होती है.