Good Friday 2025: गुड फ्राइडे 18 अप्रैल यानी आज मनाया जा रहा है. इस दिन को पुण्य शुक्रवार के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन ईसाई समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस अवसर पर ईसाई लोग चर्च जाकर यीशु मसीह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी याद में प्रार्थना करते हैं. गुड फ्राइडे को शोक का दिन माना जाता है, क्योंकि इसी दिन प्रभु यीशु मसीह को कठोर शारीरिक यातनाएं सहने के बाद क्रूस पर चढ़ाया गया था. लेकिन, यीशु मसीह का जन्म कैसे हुआ था ये बहुत ही बड़ा सवाल है. तो चलिए जानते हैं ईसा मसीह के जन्म के पीछे की क्या कहानी है.
यीशु मसीह के जन्म की कहानी
बाइबल के मुताबिक, 'लगभग 2000 वर्ष पूर्व, नासरत में मैरी नामक एक महिला की मुलाकात गैब्रियल नामक एक व्यक्ति से हुई, जो स्वयं को एक देवदूत बताता था. देवदूत ने मैरी को बताया कि उसे एक पुत्र होगा, जिसका नाम यीशु होगा और वह ईश्वर का पुत्र होगा. उस समय मैरी की सगाई जोसेफ नामक व्यक्ति से हुई थी और वे जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले थे. जब मैरी ने जोसेफ को देवदूत के संदेश के बारे में बताया, तो जोसेफ को विश्वास नहीं हुआ.
मैरी की बातें सुनकर जोसेफ को गहरा आघात लगा. उसकी व्यथा को देखकर देवदूत गैब्रीएल प्रकट हुए और जोसेफ को समझाया कि मैरी प्रभु की कृपा से गर्भवती हुई है. गैब्रीएल ने बताया कि वह एक पुत्र को जन्म देगी, जिसका नाम यीशु होगा और जो संसार के उद्धारक बनेंगे. इसी दौरान, एक रात एक परी ने मैरी के सामने आकर कहा कि उसके गर्भ से जन्म लेने वाला पुत्र एक अनंतकालीन राज्य का स्वामी होगा. यह सुनकर मैरी हैरान हो गई और उसने पूछा कि यह कैसे संभव है जबकि वह अब तक कुंवारी है.
परी ने उत्तर दिया, 'पवित्र आत्मा तुम पर आएगा और परमेश्वर की शक्ति तुम्हारे भीतर काम करेगी. इसी कारण जो पुत्र जन्म लेगा, वह परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा.' इतना कहने के बाद परी वहां से चली गई.
बाइबिल में यीशु के इस चमत्कारी जन्म का पूरा चित्रण है. बाइबिल में यीशु को वर्जिन महिला से जन्म लिए ईश्वर का पुत्र बताया गया है, जो धरती पर लोगों के पाप धोने आए थे. ईसा मसीह के वर्जिन मां से जन्म पर लोग यकीन करते हैं और उसके पीछे ये तर्क देते हैं कि ईश्वर ने आखिर पहली बार कोई महिला या पुरुष खुद ही बनाया होगा और उसके बाद ही संसार की संरचना शुरु हुई होगी.
गुड फ्राइडे के हैं कई नाम
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं. यह पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो ईस्टर संडे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को आता है और इसका पालन पाश्कल ट्रीडम के अंश के तौर पर किया जाता है.