हिंदू धर्म में सावन के अंतिम सोमवार का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. सावन के सोमवार में भगवान शिव की पूजा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. सावन में मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है. इस दौरान भगवान शिव की कृपा पाने के लिए विशेष तरह के प्रयोग भी किए जाते हैं.
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सावन का अंतिम सोमवार इस वर्ष शिव कृपा प्राप्त करने का अंतिम अवसर होगा.
ऐसे में आप भी इस अवसर पर अपनी कामनाओं को पूर्ण करने का अंतिम प्रयास कर
सकते हैं. खास बात यह है कि सावन के इस अंतिम सोमवार पर सोम प्रदोष का
अद्भुत संयोग भी बन रहा है. ज्योतिषियों की मानें तो इस अद्भुत संयोग की
वजह से भोलेबाबा के भक्त उनकी पूजा सच्चे मन से करके अपनी हर मनोकामना पूरी
कर सकते हैं. इस बार सावन का अंतिम सोमवार 12 अगस्त को पड़ेगा.
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सावन के सोमवार की पूजा विधि- - प्रातः काल या प्रदोषकाल में स्नान करने के बाद शिव मंदिर जायें. - घर से नंगे पैर जायें तथा घर से ही लोटे में जल भरकर ले जायें. - मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें, भगवान को साष्टांग करें. - वहीं पर खड़े होकर शिव मंत्र का १०८ बार जाप करें. - दिन में केवल फलाहार करें.
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सावन के सोमवार की पूजा विधि-
- सायं भगवान के मन्त्रों का फिर जाप करें, तथा उनकी आरती करें.
- पूजा की समाप्ति पर केवल जलीय आहार ग्रहण करें. - अगले दिन पहले अन्न वस्त्र का दान करें तब जाकर व्रत का पारायण करें.
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सावन के अंतिम सोमवार के विशेष प्रयोग में क्या करें ? -अगर आपने संपूर्ण सावन में शिव जी की पूजा नहीं की है तो सावन के अंतिम सोमवार को विशेष प्रयोग करें -
- संपूर्ण कामनाओं की सिद्धि के लिए- - शिव जी को जल की धारा अर्पित करें. - जल अगर अपने घर से भरकर ले जाएं तो उत्तम होगा. - " नमः शिवाय" की ११ माला का जाप करें.
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- शीघ्र विवाह के लिए- - शिव जी को सुगंध और जल अर्पित करें - केवड़े की सुगंध न चढाएं - "ॐ पार्वतीपतये नमः" की ११ माला का जाप करें
- संतान सुख के लिए- - शिव जी को खीर का भोग लगाएं - घी के नौ दीपक जलाएँ - "ॐ शं शंकराय नमः" इस मंत्र का जाप कम से कम ११ माला करें
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मृत्युतुल्य कष्ट से बचने के लिए, शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए- - शिव लिंग पर पहले १०८ बेलपत्र चढाएं. - इसके बाद जल धारा अर्पित करें. - "ॐ जूं सः माम पालय पालय " का ११ माला जाप करें.
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अगर अपार धनलाभ चाहिए- - शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. - इसके बाद उनको उनको जल धारा अर्पित करें. - "ॐ नमः शम्भवाय" की ११ माला जाप करें.