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Premanand Maharaj: भगवान का भोग बनाते हुए मक्खी-मच्छर गिर जाए तो क्या करें? प्रेमानंद महाराज ने दिया जवाब

Premanand Maharaj: भोग बनाना साधना के समान माना गया है, लेकिन इसमें लापरवाही भारी पड़ सकती है. तो चलिए जानते हैं कि प्रेमानंद महाराज ने इससे जुड़े सवाल का क्या जवाब दिया है.

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वृंदावन के महाराज प्रेमानंद महाराज (Photo: Instagram/@Bhajanmargofficial)
वृंदावन के महाराज प्रेमानंद महाराज (Photo: Instagram/@Bhajanmargofficial)

Premanand Maharaj: जब भी हम मंदिर में या घर पर पूजा करते हैं तो भगवान को भोग चढ़ाते हैं. लेकिन, भगवान को भोग चढ़ाने से पहले उसे तैयार करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. दरअसल, भगवान का भोग बनाना केवल खाना पकाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक तरह की साधना है. जब कोई व्यक्ति भगवान के लिए भोग तैयार करता है तो उसमें सिर्फ सामग्री ही नहीं, बल्कि वह अपनी भगवान के प्रति श्रद्धा भी मिलाता है. इसलिए कहते हैं कि भगवान का भोग बनाने में शुद्धता और पवित्रता का बहुत महत्व होता है.

भोग में मक्खी या मच्छर गिर जाए तो क्या करें

वहीं, वृंदावन के जाने माने संत प्रेमानंद महाराज से भी एक भक्त ने ऐसा ही प्रश्न किया. भक्त ने पूछा, 'भगवान का भोग बनाते हुए उसमें मक्खी या कुछ गिर जाए तो क्या करें? इस पर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर देते हुए कहा कि, 'जब हम श्री जी के लिए भोग बनाते हैं, तो हमें बहुत ध्यान रखना पड़ता है. क्योंकि भगवान को जो भोग चढ़ाते हैं, वह बिल्कुल साफ-सुथरा और पवित्र होना चाहिए. अगर उस समय भोग में कोई मक्खी या मच्छर गिर जाए, या हमारे बाल उसमें गिर जाए, तब सब प्रसाद खराब हो जाता है. ऐसा भोजन भगवान को चढ़ाना सही नहीं होता. इसे हम अशुद्ध भोजन कहते हैं, जो भगवान के भोग के लिए ठीक नहीं है. इसलिए, अगर ऐसा कुछ हो जाए, तो नया भोग बनाना चाहिए.'

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आगे प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, 'इसलिए जब भी भोग बनाने बैठो, सबसे पहले अपने बालों को अच्छे से कपड़े से बांध लेना चाहिए. बाल नीचे ढीले नहीं रहने चाहिए, ताकि वे गिरे नहीं. साथ ही खाने-पीने की जगह बिल्कुल साफ होनी चाहिए, ताकि मक्खियां या मच्छर भोग में न गिरे. खाना बनाते वक्त पूरी तरह एकाग्र रहना चाहिए. ज्यादा बातचीत करने से ध्यान भटकता है, और गलती हो सकती है. अगर बात करनी हो तो धीरे-धीरे करें, ज्यादा शोर-शराबा ना हो. क्योंकि भोग बनाते वक्त अगर ध्यान नहीं दिया तो हमारी शुद्धता बिगड़ सकती है, फिर हम ठाकुर जी को पूर्ण भोग नहीं लगा पाएंगे.

भोग में होनी चाहिए शुद्धता

फिर प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, 'हमारे भोग में झूठापन, अशुद्धता या कोई भी गंदगी नहीं होनी चाहिए. पूरी साफ-सफाई और ईमानदारी से भोग तैयार करना चाहिए. तभी भगवान को प्रसाद चढ़ाने पर वह प्रसन्न होते हैं और हमारे पाप धुल जाते हैं. ऐसे भोग से हमारी बुद्धि भी शुद्ध होती है और मन को शांति मिलती है. इसलिए, हर कोई जो भोग बनाता है, उसे इस बात का पूरा ध्यान रखना जरूरी है कि मक्खी, मच्छर या बाल खाने में न गिरे. तभी भगवान का भोग सफल माना जाता है और हमें उनकी दया और आशीर्वाद मिलता है.

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