ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और निमोनिया के कारण उनके दोनों फेफड़े खराब हो चुके थे. अब अगले कुछ दिनों तक वेटिकन में शोक मनाया जाएगा और इसी दौरान अगले पोप को चुने जाने की तैयारियां भी शुरू हो जाएंगी. शोक समापन के बाद कार्डिनल्स का कॉलेज नए पोप के चुनाव के लिए एक कॉन्क्लेव में जुटेगा. इसमें करीब 135 कार्डिनल्स शामिल होंगे, जिनमें से चार भारतीय हैं. आइए जानते हैं कि नए पोप को चुनने वालों में शामिल ये 4 भारतीय कार्डिनल कौन हैं.
1. फिलिप नेरी फेराओ
गोवा और दमन के आर्कबिशप कार्डिनल फेराओ 'कॉन्फ्रेंस ऑफ केथोलिक बिशप ऑफ इंडिया' और 'द फेडरेशन ऑफ एशियन बिशप' के भी अध्यक्ष हैं. 72 साल के फेराओ को ईस्ट इंडीज के सातवें पैट्रिआर्क के रूप में भी जाना जाता है. सामाजिक न्याय और प्रवासियों को सहयोग देने के मामले में वह लंबे समय से काम कर रहे हैं.
2. बेसिलिओस क्लेमिस
कार्डिनल बेसिलिओस केरल के तिरुवनंतपुरम में सिरो-मलंकारा कैथोलिक चर्च के एक बड़े आर्कबिशप हैं. 64 साल के कार्डिनल लंबे समय से अपने चर्च की धर्मसभाओं के अध्यक्ष भी रहे हैं. वह साल 2001 एक में बिशप बने थे और उन्होंने 2012 में 'कॉजले ऑफ कार्डिनल्स ज्वॉइन किया था.' सिरो-मलंकरा समुदाय की अनूठी परंपराओं और शिक्षाओं को बनाए रखने में उनका नेतृत्व महत्वपूर्ण रहा है.
3. एंथोनी पूला
हैदराबाद के आर्कबिशप कार्डिनल पूला ने भारत के पहले दलित कार्डिनल बनने का इतिहास रचा है. 63 साल के कार्डिनल की नियुक्ति को चर्च में समानता की दिशा में एक मजबूद कदम के रूप में देखा जाता है. वेटिकन के प्रवक्ता का कहना है कि उनका आर्कबिशप होना जाति आधारित भेदभाव का सामना करने वालों के लिए आशा और प्रगति की उम्मीद हो सकता है.
4. जॉर्ज जैकब कूवाकड
जॉर्ज जैकब कूवाकड का नाम सबसे कम उम्र के इलेक्टर्स में शामिल है, जिनकी उम्र 51 साल है. वह अंतरधार्मिक संवाद के लिए वेटिकन के डिकास्टरी के प्रीफेक्ट का पद भी संभालते हैं. फिलहाल वह रोम के सेंट एंटोनियो डि पाडोवा ए सिर्कोनवलाजियोन अप्पिया में कार्डिनल-डीकन के रूप में कार्यरत हैं.
कैसे चुना जाता है पोप?
1. पोप का चुनाव सदियों पुरानी वेटिकन परंपराओं के अनुसार होता है. 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल्स का कॉलेज सिस्टिन चैपल के अंदर गुप्त मतदान करेगा. नए पोप का चुनाव करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है.
2. अगर कोई आम सहमति नहीं बनती है तो मतदान के अतिरिक्त चरण तब तक जारी रहेंगे जब तक कि एक जरूरी समर्थन वाला उम्मीदवार सामने नहीं आ जाता.
3. इसके अलावा जब मतदान के एक चरण में आम सहमति नहीं बनती है तो मतपत्रों को जला दिया जाता है और सिस्टिन चैपल की चिमनी से निकलने वाला काला धुआं टेलीविजन पर और सेंट पीटर्स स्क्वायर में मौजूद लोगों को संकेत देता है कि सम्मेलन जारी है.
4. वहीं, जब सफेद धुआं दिखाई दे तो समझ लीजिए कि नया पोप चुन लिया गया है.