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Som Pradesh Vrat: 17 या 18 नवंबर कब है मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत ? नोट करें तिथि और शुभ मुहूर्त

Som Pradesh Vrat: सोम प्रदोष व्रत अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है, क्योंकि यह व्रत प्रदोष तिथि और सोमवार दोनों ही भगवान शिव को समर्पित दिनों के संयोग में आता है. इस दिन की गई पूजा-अर्चना विशेष फल देती है.

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The Pradosh fast observed on Monday is called Som Pradosh. This Pradosh fast is especially effective because it is the day of Lord Shiva.
The Pradosh fast observed on Monday is called Som Pradosh. This Pradosh fast is especially effective because it is the day of Lord Shiva.

Som Pradesh Vrat: शिव पुराण में प्रदोष व्रत का अद्भुत महत्व बताया गया है. प्रदोष तिथि स्वयं भगवान महादेव की प्रिय तिथि मानी गई है. ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो भी व्यक्ति आस्था, भक्ति और पवित्र मन से व्रत रखकर शिवजी की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी  होती हैं. इस बार मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है. सोमवार स्वयं शिव का दिन होने के कारण जब प्रदोष तिथि सोमवार को आती है, तो वह योग अत्यंत शुभ, दुर्लभ और फलदायी माना जाता है. इसी कारण इस व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन की गई शिव उपासना, रुद्राभिषेक, मंत्र जप और प्रदोष स्तोत्र का पाठ विशेष पुण्य और कृपा देने वाला माना जाता है. 

इसके साथ ही इस बार अभिजीत मुहूर्त का शुभ संयोग भी बन रहा है, जो अत्यंत शक्तिशाली, शुभ और कार्यसिद्धि देने वाला मुहूर्त माना गया है. अभिजीत मुहूर्त में की गई कोई भी पूजा, संकल्प या जप तुरंत फलदायी होता है. इन सभी दिव्य संयोगों के कारण यह व्रत और भी अधिक पावन, शुभ एवं सिद्धिदायक बन गया है. 

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 नवंबर को सुबह 4:46 बजे आरंभ होकर 18 नवंबर की सुबह 7:11 बजे तक रहेगी. उदया तिथि को आधार मानते हुए सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर को रखा जाएगा. इस दिन शिव भक्त पूरे विधि-विधान से व्रत रखकर भगवान महादेव की आराधना करते हैं. 

सोम प्रदोष व्रत: शुभ मुहूर्त

शास्त्रों में प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ बताया गया है. प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद डेढ़ घंटे तक माना जाता है. इसी पवित्र अवधि में भगवान शिव का जलाभिषेक, पूजन, दीपाराधना और प्रदोष स्तोत्र का पाठ अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. इस बार सोम प्रदोष के दिन अभिजित मुहूर्त का शुभ संयोग भी बन रहा है.

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भिजित मुहूर्त सुबह 11:45 मिनट से 12:27 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में किए गए पूजा-पाठ, जप और संकल्प शीघ्र फलदायी माने जाते हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. 

सोम प्रदोष व्रत के लाभ

सोम प्रदोष व्रत रखने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.शिव पार्वती की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. विवाहित और अविवाहित दोनों के लिए यह व्रत शुभ माना गया है. अच्छे जीवनसाथी और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है. अष्ट सिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद मिलता है. 
 

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