राजस्थान के अजमेर जिले की साइबर सेल ने एक हाई-प्रोफाइल और बेहद शातिर साइबर ठगी का पर्दाफाश किया है. इस मामले में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 10 दिनों तक मानसिक रूप से कैद कर लाखों रुपये की ठगी की गई. पुलिस ने इस मामले में डीडवाना कुचामन का रहने वाला ओंकार सिंह को गिरफ्तार किया है.
दरअसल, घटना नवंबर 2024 की है. इस दिन प्रोफेसर को एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को बीएचईएल कंपनी का प्रतिनिधि बताया. उसने प्रोफेसर को कहा कि आपका पार्सल चीन से आया है जिसमें अवैध मादक पदार्थ मिला है. झूठा डर दिखाकर कॉलर ने प्रोफेसर को पूरी तरह डरा दिया और उसे वर्चुअल निगरानी में रखा, जिसे साइबर की भाषा में 'डिजिटल अरेस्ट' कहा जाता है.
यह भी पढ़ें: Youtube पर साइबर ठगी के तरीके सीखे, फिर शुरू की Instagram पर ठगी और ब्लैकमेलिंग, दो गिरफ्तार
इस दौरान प्रोफेसर को किसी से बात करने या बाहर जाने की मनाही रही. पूरे 10 दिनों तक उसे कॉल, वीडियो कॉल और टेक्निकल ट्रिक्स से भ्रमित किया गया और उसके बैंक खातों से ₹5 लाख से अधिक की रकम उड़ा ली गई.
मामले में पुलिस ने कही ये बात
अजमेर साइबर थाने के अधिकारी हनुमान सिंह ने बताया कि इस अपराध की गहराई को देखते हुए तकनीकी जांच शुरू की गई, जिसमें मोबाइल लोकेशन, ट्रांजेक्शन ट्रेसिंग और डिजिटल फुटप्रिंट की मदद से ओंकार सिंह को गिरफ्तार किया गया. अब उससे पूछताछ जारी है ताकि पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ किया जा सके.