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एक महीना, 17 टीमें और 90 पुलिसकर्मी… सालों बाद घर लौटे लापता चेहरे तो छलक पड़ीं आंखें, गले लगाने दौड़ पड़े परिजन

राजस्थान के कोटा में पुलिस ने इंसानियत की सबसे खूबसूरत मिसाल पेश की है. ऑपरेशन सुदामा के तहत कोटा ग्रामीण पुलिस ने देशभर के अलग-अलग राज्यों से 140 लापता लोगों को ढूंढ़कर उनके परिजनों से मिलाया. इनमें कई ऐसे लोग शामिल थे, जो 10 से 15 साल पहले घर छोड़कर चले गए थे और परिवार वालों ने उनकी वापसी की उम्मीद भी छोड़ दी थी.

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कोटा पुलिस ने 140 लापता लोगों को परिजनों से मिलाया. (File Photo; ITG)
कोटा पुलिस ने 140 लापता लोगों को परिजनों से मिलाया. (File Photo; ITG)

राजस्थान के कोटा में पुलिस ने इंसानियत की मिसाल पेश की है. ऑपरेशन सुदामा के तहत कोटा ग्रामीण पुलिस ने देशभर में फैले लापता मामलों की तलाश कर 140 गुमशुदा महिला और पुरुषों को खोज निकाला. इनमें कई ऐसे लोग शामिल थे, जो 10 से 15 साल पहले अपने घरों से गायब हो गए थे.

ग्रामीण एसपी सुजीत शंकर के निर्देश पर चले इस अभियान में 17 विशेष टीमों और 90 पुलिसकर्मियों ने लगातार एक महीने तक काम किया. यह खोज राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों तक चलती रही. ऑपरेशन का नेतृत्व एएसपी रामकल्याण मीणा, महिला अपराध अनुसंधान एएसपी धनफूल मीणा और मानव तस्करी विरोधी यूनिट प्रभारी इंस्पेक्टर शौकत खान ने किया. प्रत्येक टीम को पुराने गुमशुदा मामलों की जिम्मेदारी दी गई. 

कई बार कागजों में बंद केस फिर से खोले गए और एक-एक कड़ी जोड़ते हुए पुलिस ने उन लोगों को ढूंढ़ निकाला, जो समाज से लापता हो चुके थे. इन टीमों ने राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में जाकर गुमशुदा लोगों की जानकारी जुटाई. पुलिस ने 15 साल पुराने मामलों से लेकर हाल ही में लापता हुए लोगों तक सभी को ट्रैक किया.

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15 साल से 2 व्यक्ति लापता थे. वहीं 9 लोग ऐसे थे, जो 10 साल से लापता थे. इसके अलावा 5 साल से 12 व्यक्ति लापता थे. इसके अलावा 3 साल से 43 लोग लापता थे. वहीं 74 लोग एक साल से लापता थे. पुलिस के इस ऑपरेशन में रामगंजमंडी के 25 व्यक्ति मिले हैं. वहीं सुकेत के 24 लोग मिले. इसके अलावा इटावा के 15 लोगों को खोज निकाला गया है. 

रामगंजमंडी की रहने वाली रामकौरी बाई मजदूरी के दौरान साल 2010 में लापता हो गई थीं. महिला की तलाश में पुलिस ने पुराने रिश्तों का पता लगाया. जांच से सामने आया कि उसने दूसरी जगह विवाह कर लिया था. महिला को कैलाशपुर से दस्तयाब किया गया.

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राजगढ़, झालावाड़ की रेखा बाई साल 2012 से गायब थीं. महिला भोपाल में नाम बदलकर रह रही थी. कई बार तलाश बेनतीजा रही, लेकिन मुखबिर की सूचना पर टीम भोपाल पहुंची और महिला को खोज निकाला. वहीं इटावा की मंजू बाई साल 2015 में बिना बताए घर छोड़ गई थीं. मंजू बाई जयपुर में मजदूरी करती मिलीं. स्थानीय सूचना के आधार पर पुलिस ने मंजू को जयपुर से दस्तयाब किया.

मोबाइल और सोशल मीडिया ने खोलीं कई गुत्थियां

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एएसपी रामकल्याण मीणा ने बताया कि इस अभियान में तकनीकी मदद बेहद अहम रही. पुलिस ने पुराने मोबाइल नंबर, कॉल रिकॉर्ड और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा लिया. कई बार किसी रिश्तेदार से की गई फोन कॉल या किसी फोटो पोस्ट से गुमशुदा व्यक्ति का लोकेशन मिल गया.

582 में से 140 और मिले, अभियान जारी रहेगा

कोटा ग्रामीण क्षेत्र में अब तक कुल 900 गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए हैं. ऑपरेशन सुदामा के दौरान 582 व्यक्तियों को ढूंढ़ निकाला गया, जिनमें हालिया अभियान में मिले 140 लोग मिले हैं. पुलिस ने अब अगला चरण शुरू करने की योजना बनाई है, ताकि शेष लोगों की भी खोज की जा सके. सालों बाद अपने परिजनों को देखकर कई परिवारों की आंखें नम हो गईं. परिजनों ने उन्हें गले लगा लिया. पुलिसकर्मियों ने भी इस मिशन को अपने करियर का सबसे भावनात्मक क्षण बताया.

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