राजस्थान की राजधानी जयपुर में पुलिस ने NEET यूजी परीक्षा 2020 में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है. इस मामले में पुलिस ने दो डॉक्टर और एक मेडिकल स्टूडेंट को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने 60 लाख रुपये लेकर डमी कैंडिडेट के जरिए परीक्षा पास करवाने का सौदा किया था. गिरफ्तार आरोपियों में डॉक्टर सुभाष सैनी, अजीत गोरा और सचिन गोरा शामिल हैं.
जयपुर वेस्ट के डीसीपी अमित कुमार ने बताया कि 15 मई को चौमूं निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसके बाद चौमूं पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. जांच के दौरान एनटीए और संबंधित शैक्षणिक संस्थानों से रिकॉर्ड खंगाले गए, जिससे मामला साफ हुआ. शुक्रवार को पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तार आरोपी सचिन गोरा वर्तमान में एम्स जोधपुर में एमबीबीएस फाइनल ईयर का छात्र है, जबकि अजीत गोरा भरतपुर के जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद इंटर्नशिप कर रहा है. तीसरे आरोपी डॉक्टर सुभाष सैनी नागौर के घाटवा में कॉमन हेल्थ ऑफिसर के पद पर तैनात हैं.
जांच में सामने आया कि साल 2020 में आयोजित NEET परीक्षा में सचिन गोरा ने खुद परीक्षा नहीं दी थी. उसकी जगह अजीत गोरा ने डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा दी और 667 अंक प्राप्त किए. इसके लिए आवेदन में अजीत की फोटो और सचिन की जानकारी का इस्तेमाल किया गया. इस फर्जीवाड़े के जरिए सचिन को एम्स जोधपुर में एमबीबीएस में दाखिला मिल गया.
धोखाधड़ी करने वालों ने ही किया खुलासा
दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े की पोल खुद आरोपियों के रिश्तेदार ने खोली, जिसने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई. वहीं, जांच में यह भी सामने आया कि डॉक्टर सुभाष सैनी पहले भी साल 2013 में ऐसे ही फर्जीवाड़े के जरिए 65 लाख रुपये वसूल चुका है. पुलिस अब इस गैंग के अन्य सदस्यों और पहले के मामलों की भी जांच कर रही है.