राजस्थान में सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद अब अलवर का राजीव गांधी सामान्य अस्पताल सुर्खियों में है. प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बिना फायर एनओसी के चल रहा है.
इस अस्पताल में रोजाना करीब 5000 मरीज इलाज के लिए आते हैं. यहां अलवर के अलावा दौसा, भरतपुर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मेवात क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं. अस्पताल के तीन भवनों में सामान्य अस्पताल, जनाना अस्पताल और शिशु अस्पताल संचालित होते हैं, जहां करीब 500 मरीज भर्ती रहते हैं.
बिना फायर एनओसी के चल रहा है सरकारी अस्पताल
कुछ साल पहले एनएचएम योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से फायर सिस्टम लगाया गया था, लेकिन नियमों के अनुरूप उपकरण न होने के कारण अस्पताल को एनओसी नहीं मिली. इसके बाद प्रशासन ने कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की.
अब जयपुर हादसे के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा है. जांच में पता चला कि अस्पताल के ज्यादातर फायर सिलेंडर एक्सपायर हो चुके हैं और फायर प्लांट पूरी तरह बंद है. पहले भी शिशु अस्पताल में आग लग चुकी है, लेकिन उससे कोई सबक नहीं लिया गया.
अस्पताल प्रशासन देगा एनओसी के लिए आवेदन
फायर अधिकारी ने पुष्टि की कि अस्पताल के पास एनओसी नहीं है. पीडब्ल्यूडी की अधिशासी अभियंता अलका व्यास ने बताया कि फायर सिस्टम की जांच चल रही है और जल्द ही कमियों को दूर कर एनओसी के लिए आवेदन किया जाएगा.