बात करीब 15-16 साल पुरानी है. दिल्ली के एक पार्षद आत्माराम गुप्ता का कत्ल हो गया था. लाश बुलंदशहर जिले में मिली थी. तब वहीं के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर खुले आसमान के नीचे आत्माराम की लाश का पोस्टमार्टम हो रहा था. मैंने अपनी आंखों से तब पहली बार एक स्वीपर को पोस्टमार्म करते देखा था. तब सोचा था चलो मुर्दे को क्या पता चीर-फाड़ करने वाला स्वीपर है या डाक्टर? पर ज़रा सोचें पोस्टमार्टम की जगह ऑपरेशन थिएटर में डाक्टर के बदले स्वीपर आपका ऑपरेशन करने लगे तो क्या होगा? पर ये हो रहा है.