बिहार की राजनीति जातीय और धार्मिक समीकरणों के चौराहे पर है, जहां नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर की रणनीतियां कसौटी पर हैं. एनडीए '100 में 60% वोट हमारा है' के नारे के साथ, वहीं महागठबंधन अपने एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को साधने में जुटा है. बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी ने सवर्ण, पिछड़ा, अति-पिछड़ा, दलित और मुस्लिम समुदायों को साधने के लिए टिकट वितरण किया है. यह रिपोर्ट नीतीश के कुर्मी-कुशवाहा, लालू के एम-वाई समीकरण, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे नेताओं की जातीय ताकत का विश्लेषण करती है.