दावा तो हुआ था कि दिल्ली नहीं दिल जीतने जा रहे हैं. दलील दी गई थी कि गणतंत्र दिवस पर जवान अगर राजपथ पर परेड निकाल सकते हैं, तो अपनी मांग के समर्थन में किसान क्यों संघर्ष पथ पर निकल नहीं सकते? शांति व्यवस्था बनाए रखने की दिल्ली पुलिस की 37 शर्तों को मानने का भरोसा भी दिया गया था. किसानों के ट्रैक्टर परेड के नाम पर आंदोलन और अराजकता के बीच का फर्क मिटा दिया गया. हालात ये हुए कि प्रदर्शनकारी उस लाल किले तक पहुंचे जहां की प्राचीर से हर 15 अगस्त को प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं. वहां हालात कैसे हो गए इसे सिर्फ ऐसे समझिए कि लाल किले पर प्रदर्शनकारियों ने अपना झंडा तक लगा दिया. सुबह दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर सबसे पहले हालात बिगड़े. सिंघू बॉर्डर से लेकर ITO, गाजीपुर बॉर्डर, नांगलोई और यहां तक कि फरीदाबाद में बैरिकेड तोड़े गए. पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई. देखें दंगल, रोहित सरदाना के साथ.