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अलोकप्रिय ही सही, लेकिन आतंकियों को सबक सिखाने का इजरायली तरीका सबसे कारगर है

पहलगाम हमले के बाद इजरायली कार्रवाई की फिर से चर्चा होने लगी है, जिसमें एक ही चीज गड़बड़ है, ऑपरेशन में बेगुनाह और बच्चे भी मारे जाते हैं. 26/11 के मुंबई और पुलवामा अटैक के बाद पहलगाम में भी हमला हुआ. आगे भी ऐसी ही आशंका है, ऐसे कैसे चलेगा?

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पहलगाम हमले के विरोध में अमृतसर में हाथों में पोस्टर लेकर कैंडल मार्च किया गया.
पहलगाम हमले के विरोध में अमृतसर में हाथों में पोस्टर लेकर कैंडल मार्च किया गया.

आतंकवाद के खिलाफ इजरायल के सैन्य ऑपरेशन पर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं, लेकिन वो उसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं करता. 

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इजरायली कार्रवाई सवालों के घेरे में करीब करीब वैसे ही खड़ी हो जाती है, जैसे यूपी पुलिस के एनकाउंटर. फर्क बस ये होता है कि यूपी पुलिस के एनकाउंटर में कथित अपराधी ही मारे जाते हैं, जबकि इजरायल के ऑपरे्शन में बहुत सारे बेगुनाह लोग. महिलाएं और बच्चे तक नहीं बख्शे जाते. 

और खास बात ये है कि जैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यूपी पुलिस की पीठ पर हाथ होता है, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी अपनी फौज की पीठ ठोकते रहते हैं. 

भारत में भी आतंकवादियों के खिलाफ वैसी की कार्रवाई की मांग उठती रहती है, जैसी अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के साथ किया, और जैसे इजरायल हमास लीडर के साथ पेश आया.

जम्मू कश्मीर के चिट्टीसिंहपोरा में 25 साल पहले सिखों के नरसंहार के बाद भी आतंकी हमले रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. पहले उरी, फिर पुलवामा और अब पहलगाम. सिलसिला लगातार जारी है. आखिर ये कब तक चलेगा?

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कैसी होती है आतंकवाद के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई?

7 अक्टूबर, 2023 को हमास के आतंकियों के हमले में 1200 से ज्यादा इजरायली लोग मारे गये - और 200 से ज्यादा लोगों को हमास ने बंधक बना लिया था. अगले ही दिन इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए गाजा पट्टी में ‘ऑपरेशन आयरन स्वॉर्डस’ शुरू कर दिया था - और एक के बाद एक कार्रवाई में हमास को तहस नहस कौन कहे, नेस्तनाबूद कर दिया है. 

हमास से बदला लेने के लिए इजरायल के हवाई हमले में गाजा पट्टी बर्बाद हो गया. गाजा पट्टी में इजरायली सेना के ऑपरेशन में महिलाओं और बच्चों सहित हजारों लोग मारे गये, और लाखों नागरिक विस्थापित हो गये.  

20 जुलाई, 2024 को इजरायल ने ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों पर घातक ड्रोन स्ट्राइक की. लेबनान के हिजबुल्लाह की ओर से छोड़ी गई मिसाइल गोलान हाइट्स में गिरी, और 12 बच्चे मारे गये. इजरायल ने हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुकर को लेबनान में मार डाला, और अगले ही दिन 31 जुलाई को हमास का नेता इस्माइल हानिया ईरान में मारा गया.

बेशक ये तरीका सही नहीं कहा जा सकता. ये दलील भी सही नहीं हो सकती कि बेगुनाहों को मारने वालों के खिलाफ कार्रवाई में गुनगार के साथ बेगुनाह तो मारे ही जाएंगे - लेकिन आतंकवाद से निबटने को कोई कारगर तरीका भी तो असरदार नहींं लगता. 

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पहलगाम के बाद भी एक सर्जिकल स्ट्राइक से क्या हो जाएगा?

उरी में सेना पर हमले के बाद सेना की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक किया गया. और, पुलवामा में सीआरपीएफ की गाड़ी पर आतंकवादी हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक. 

उस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई थी. पाकिस्तान की तरफ से एफ 16 फाइटर प्लेन सीमा पार उड़ान भरने लगे थे. काउंटर की कोशिश में अभिनंदन वर्धमान सीमा पार कर गये और पाकिस्तानी फौज ने बंधक बना लिया - और दोनो देशों के बीच काफी तनावपूर्ण स्थिति हो गई थी. 

बाद में पाकिस्तान ने अभिनंदन को रिहा किया, और भारत भेज दिया. घटना के तत्काल बाद 2019 के आम चुनाव हुए, और अगस्त में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया गया.

आतंकवादी गतिविधियां कम भले हो गई हों, लेकिन बंद तो नहीं ही हुई हैं. पांच साल से ज्यादा हो चुके हैं. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव भी हो गये, और उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में चुनी हुई सरकार भी बन चुकी है - लेकिन हालात बदले क्या? 

सर्जिकल और एयर स्ट्राइक का दो असर होना था हुआ, लेकिन अब वो भी बीते दिनों की बातें लगती हैं - अब तो पाकिस्तान के खिलाफ 1971 जैसी कार्रवाई जरूरी लगने लगी है. 

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मौका भी है. आपदा में अवसर जैसी ही सही. बलूचिस्तान में अलग ही बगावत चल रही है. पाक अधिकृत कश्मीर का हाल भी बुरा ही है.

चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित सारे बीजेपी नेता दावा करते हैं कि अब देश में वो सरकार है जो घर में घुसकर मारती है - पहलगाम हमले के बाद कोई ठोस कार्रवाई वक्त की मांग तो है ही.

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